जन्मदिन पर विशेष (02 नवंबर)
शाहरुख़ खान एक बॉलीवुड अभिनेता, निर्माता,और टेलीविजन कलाकार हैं. जिनको किंग खान के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने अभिनय के लिए पहचाना जाता हैं.शाहरुख़ खान ने साल 1980 में टेलीविज़न से अपने करियर का आगाज़ किया.
1992 में उन्होंने अपनी फिल्म दीवाना से बॉलीवुड में एंट्री की और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.उन्होंने करीब 80 फिल्मो में काम किया है. शाहरुख़ खान अभी तक 14 फिल्मफेयर अवार्ड्स हासिल कर चुके हैं. उन्हें 2005 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया.
गौरतलब है की गैर फ़िल्मी परिवार से होने के बाद भी शाहरुख खान भारतीय सिनेमा जगत में अपनी एक अलग और बड़ी पहचान बनाई.
साल 2015 में वेल्थ रिसर्च फर्म वैल्थ एक्स के अनुसार शाहरुख़ खान भारत के पहले और दुनिया के दूसरे नंबर के सबसे अमीर अभिनेता थे. जबकि $1 बिलियन की संपत्ति के साथ पहले नंबर पर अमेरिका के मेर्व ग्रिफ्फिन थे.
लेकिन 2017 के आंकड़ो के अनुसार पहले नंबर पर मेर्व ग्रिफ्फिन दूसरे नंबर पर अमेरिका के जेरी सेफेल्ड और तीसरे नंबर पर शाहरुख़ खान हैं.
शाहरुख़ खान के माता-पिता पठान मूल के थे जो किस्सा ख्वानी बाज़ार पेशावर पाकिस्तान में है. उनके पिता पेशावर से एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो भारत पाकिस्तान विभाजन से पहले ही राजेंद्र नगर, दिल्ली आ गए थे और यहाँ एक किराये के अपार्टमेन्ट में रहते थे.
उनके पिता की एक कैंटीन थी जहाँ से घर का खर्चा चलता था और एक मिडिल क्लास फैमिली की तरह उनका परिवार चलने लगा. यहीं 2 नवम्बर 1965 को शाहरुख़ खान का जन्म हुआ था.
ग्रेजुएशन की पढाई करने के लिए उन्होंने 1985 में हंसराज कॉलेज में दाखिला लिया और साथ ही थिएटर एक्शन ग्रुप भी ज्वाइन किया जहाँ और वहां उनको बैरी जॉन ने एक्टिंग की बारीकियां सिखाई.
1988 में अपनी ग्रेजुएशन की पढाई पूरी करके इकोनॉमिक्स की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दाखिला लिया। मगर अब उनका मन पढाई में कम और एक्टिंग मे ज्यादा लगने लगा था.
उनकी पहली फिल्म दीवाना 25 जून 1992 को रिलीज़ हो गयी और बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही। बाकायदा उनको उस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड्स भी दिया गया इस फिल्म से शाहरुख़ खान को बॉलीवुड में पहचान मिल गयी थी.
इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनकी अपने प्रारंभिक सफ़र में उन्होंने उन्होंने डर (1993), बाज़ीगर (1993) और अंजाम (1994) जैसी प्रसिद्ध फिल्मो में खलनायक का किरदार निभाया और बाद में उन्होंने रोमांटिक फिल्मो को करना भी शुरू किया.
जिनमे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995), दिल तो पागल है (1997), कुछ-कुछ होता है (1998) और कभी ख़ुशी कभी गम (2001) भी शामिल है। बाद में उन्होंने देवदास (2002) में एक व्यसनी की और स्वदेश (2004) में एक नासा वैज्ञानिक, चक दे इंडिया (2007) में हॉकी प्रशिक्षक और माय नेम इस खान (2210) में एक अस्पेर्गेर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की भूमिका अदा की जिसको दर्शको द्वारा बहुत सराहा गया.
रा one ( 2011), जब तक है जान (2012), चेन्नई एक्सप्रेस (2013) में भी उन्होंने अपनी बहुत अच्छी भूमिकाएं निभाई। भारतीय सिनेमा जगत में अपने इस महान योगदान के लिए इनको 2005 में पद्म श्री से भी नवाज़ा गया था.