Advertisement

Hindi Class 10 Teesri kasam ke shilpkar Shailendra Prahlad Agarwal Sparsh Chapter 13 NCERT Solutions प्रहलाद अगरवाल तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 Teesri kasam ke shilpkar Shailendra

Click here to download Hindi Class 10 Teesri kasam ke shilpkar Shailendra Prahlad Agarwal Sparsh Chapter 13 NCERT Solutions प्रहलाद अगरवाल तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

download PDF Image

Advertisement

NCERT Solutions Class 10 Hindi तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

Question 1:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?

Answer:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म भारत तथा विदेशों में भी सम्मानित हुई। इस फिल्म को राष्ट्रपति द्वारा स्वर्णपदक मिला तथा बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा यह सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म चुनी गई। फ़िल्म फेस्टिवल में भी इसे पुरस्कार मिला।

Advertisement

Question 2:

शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाईं?

Answer:

शैलेन्द्र ने मात्र एक फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ बनाई।

Advertisement

Question 3:

राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।

Answer:

राजकपूर ने संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी, श्री 420, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् इत्यादि फ़िल्में निर्देशित की।

Question 4:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?

Advertisement

Answer:

इस फ़िल्म में राजकपूर ने ‘हीरामन’ और वहीदा रहमान ने ‘हीराबाई’ की भूमिका निभाई है।

Question 5:

फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?

Answer:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण ‘शैलेन्द्र’ ने किया था?

Question 6:

राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?

Answer:

राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ बनाते समय यह सोचा भी नहीं था कि इस फ़िल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जाएगा।

Question 7:

राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

Advertisement

Answer:

तीसरी कसम की कहानी सुनने के बाद जब राजकपूर ने गम्भीरता से मेहनताना माँगा तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद न थी।

Question 8:

फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?

Answer:

फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को उत्कृष्ट और आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे।

Advertisement

Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए −

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सेल्यूलाइड पर लिखी कविता क्यों कहा गया है?

Answer:

तीसरी कसम फ़िल्म की कथा फणीश्वरनाथ रेणु की लिखी साहित्यिक रचना है। सेल्यूलाइड का अर्थ है- ‘कैमरे की रील’। यह फ़िल्म भी कविता के समान भावुकता, संवेदना, मार्मिकता से भरी हुई कैमरे की रील पर उतरी हुई फ़िल्म है। इसलिए इसे सेल्यूलाइड पर लिखी कविता  (रील पर उतरी हुई फ़िल्म) कहा गया है।

Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए −

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

Answer:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल सके क्योंकि फ़िल्मकारों को इस फ़िल्म से लाभ मिलने की उम्मीद बहुत कम थी। अतः उसे खरीदकर वह नुकसान नहीं उठाना चाहते थे।

Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?

Answer:

शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का उद्देश्य दर्शकों की रूचि की आड़ में उथलेपन को थोपना नहीं बल्कि उनका परिष्कार करना होना चाहिए। कलाकार का दायित्व स्वस्थ एवं सुंदर समाज की रचना करना है, विकृत मानसिकता को बढ़ावा देना नहीं है।

Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है।

Answer:

फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों को इतना ग्लोरिफ़ाई कर दिया जाता है जिससे कि दर्शकों का भावनात्मक शोषण किया जा सके। उनका उद्देश्य केवल टिकट-विंडो पर ज़्यादा से ज़्यादा टिकटें बिकवाना और अधिक से अधिक पैसा कमाना होता है। इसलिए दुख को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं जो वास्तव में सच नहीं होता है। दर्शक उसे पूरा सत्य मान लेते हैं। इसलिए वे त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफ़ाई करते हैं।

Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

‘शैलेन्द्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ − इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

राजकपूर अभिनय में मंझे हुए कलाकार थे और शैलेन्द्र एक अच्छे गीतकार। राजकपूर की छिपी हुई भावनाओं को शैलेन्द्र ने शब्द दिए। राजकूपर भावनाओं को आँखों के माध्यम से व्यक्त कर देते थे और शैलेंद्र उन भावनाओं को अपने गीतों से तथा संवाद से पूर्ण कर दिया करते थे।

Question 6:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?

Answer:

शोमैन का अर्थ है- ऐसा व्यक्ति जो अपनी कला के प्रदर्शन से ज़्यादा से ज़्यादा जन समुदाय इकट्ठा कर सके। वह दर्शकों को अंत तक बाँधे रखता है तभी वह सफल होता है। राजकपूर भी महान कलाकार थे। जिस पात्र की भूमिका निभाते थे उसी में समा जाते थे। इसलिए उनका अभिनय सजीव लगता था। उन्होंने कला को ऊँचाइयों तक पहुँचाया था।

Question 7:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?

Answer:

‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन को आपत्ति थी क्योंकि सामान्यत: दिशाएँ चार होती हैं। वे चार दिशाएँ शब्द का प्रयोग करना चाहते थे लेकिन शैलेन्द्र तैयार नहीं हुए। वे दर्शकों के सामने उथलेपन को परोसना नहीं चाहते थे। वे तो दर्शकों की रूचि को परिष्कृत करना चाहते थे।

Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेन्द्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?

Answer:

शैलेन्द्र एक कवि थे। उन्हें फणीश्वरनाथ रेणु की मूल कथा की संवेदना गहरे तक छू गई थी। उन्हें फ़िल्म व्यवसाय और निर्माता के विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं था। फिर भी उन्होंने इस कथावस्तु को लेकर फ़िल्म बनाने का निश्चय किया। उन्हें धन का लालच नहीं था। राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए उन्होंने यह फ़िल्म बनाई थी।

Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया। स्पष्ट कीजिए।

Answer:

राजकपूर अभिनय में प्रवीण थे। वे पात्र को अपने ऊपर हावी नही होने देते थे बल्कि उसको जीवंत कर देते थे। ‘तीसरी कसम’ में भी हीरामन पर राजकपूर हावी नही था बल्कि राजकपूर ने हीरामन को आत्मा दे दी थी। उसका उकड़ू बैठना, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजना, गीतगाता गाडीवान, सरल देहाती मासूमियत को चरम सीमा तक ले जाते हैं। इस तरह उनका महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर गया।

Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?

Answer:

तीसरी कसम फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की पुस्तक ‘मारे गए गुलफाम’ पर आधारित है। शैलेंद्र ने पात्रों के व्यक्तित्व, प्रसंग,  घटनाओं में कहीं कोई परिवर्तन नहीं किया है। कहानी में दी गई छोटी-छोटी बारीकियाँ, छोटी-छोटी बातें फ़िल्म में पूरी तरह उतर कर आईं हैं। शैलेंद्र ने धन कमाने के लिए फ़िल्म नहीं बनाई थी। उनका उद्देश्य एक सुंदर कृति बनाना था। उन्होंने मूल कहानी को यथा रूप में प्रस्तुत किया है। उऩके योगदान से एक सुंदर फ़िल्म तीसरी कसम के रूप में हमारे सामने आई है। लेखक ने इसलिए कहा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत का न्याय किया है।

Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

शैलेन्द्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं। अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

शैलेन्द्र के गीत भावपूर्ण थे। उन्होंने धन कमाने की लालसा में गीत कभी नहीं लिखे। उनके गीतों की विशेषता थी कि उनमें घटियापन या सस्तापन नहीं था। उनके द्वारा रचित गीत उनके दिल की गहराइयों से निकले हुए थे। अतः वे दिल को छू लेने वाले गीत थे। यही कारण है कि उनके लिखे गीत अत्यन्त लोकप्रिय भी हुए। उनके गीतों में करूणा, संवेदना आदि भाव बिखरे हुए थे।

Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेन्द्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?

Answer:

शैलेन्द्र की पहली और आखिरी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ थी। उनकी फ़िल्म यश और धन की इच्छा से नही बनाई गई थी। वह महान रचना थी। हीरामन व हीराबाई के माध्यम से प्रेम की महानता को बताने के लिए उन्हें शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ी। उन्होंने हावभाव से ही सारी बात कह डाली। बेशक इस फ़िल्म को खरीददार नही मिले पर शैलेन्द्र को अपनी पहचान और फ़िल्म को अनेकों पुरस्कार मिले और लोगो ने इसे सराहा भी।

Question 6:

शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है−कैसे? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है। शैलेन्द्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे − दुरुह नहीं। उनका कहना था कि कलाकार का यह कर्त्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनके लिखे गए गीतों में बनावटीपन नहीं था। उनके गीतों में शांत नदी का प्रवाह भी था और गीतों का भाव समुद्र की तरह गहरा था। यही विशेषता उनकी ज़िंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया।

Question 7:

लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक के अनुसार ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था। लेखक का यह कथन बिलकुल सही है क्योंकि इस फिल्म की कलात्मकता काबिल-ए-तारीफ़ है। शैलेन्द्र एक संवेदनशील तथा भाव-प्रवण कवि थे और उनकी संवेदनशीलता इस फ़िल्म में स्पष्ट रुप से मौजूद है। यह संवेदनशीलता किसी साधारण फ़िल्म निर्माता में नहीं देखी जा सकती।

Question 1:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

….. वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

Answer:

इन पंक्तियों में लेखक का आशय है कि शैलेन्द्र एक ऐसे कवि थे जो जीवन में आदर्शों और भावनाओं को सर्वोपरि मानते थे। जब उन्होंने भावनाओं, संवेदनाओं व साहित्य की विधाओं के आधार पर ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण किया तो उनका उद्देश्य केवल आत्मसंतुष्टि था न कि धन कमाना।

Question 2:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

उनका यह दृढ़ मतंव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

Answer:

फ़िल्म ‘श्री 420’ के एक गाने में शैलेंद्र ने दसों दिशाओं शब्द का प्रयोग किया तो संगीतकार जयकिशन ने उन्हें कहा कि दसों दिशाओं नहीं चारों दिशाओं होना चाहिए। लेकिन शैलेन्द्र का कहना था कि फ़िल्म निर्माताओं को चाहिए कि दर्शकों की रूचि को परिष्कृत करें। उथलापन उन पर थोपना नहीं चाहिए।

Question 3:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

Answer:

इसमें शैलेन्द्र ने बताया है कि दुख मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब मुश्किल आती है तो वह उससे छुटकारा पाने की बात सोचने लगता है। अर्थात वह जीवन में हार नहीं मानता है।

Question 4:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।

Answer:

धन या लाभ के लालच में जो खरीददार फ़िल्म खरीदते हैं यह फ़िल्म उनके लिए नहीं है। इस फ़िल्म की संवेदनशीलता, उसकी भावना को वे समझ नहीं सकते थे क्योंकि इसमें कोई सस्ता लुभावना मसाला नहीं था।

Question 5:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

उनके गीत भाव-प्रवण थे − दुरूह नहीं।

Answer:

शैलेन्द्र के गीत सीधी-साधी भाषा में लिखे गए थे तथा सरसता व प्रवाह लिए हुए थे। इनके गीत भावनात्मक गहन विचारों वाले तथा संवेदनशील थे।

Question 3:

पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए −

चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना

Answer:

चेहरा मुरझाना – अपना परीक्षा-परिणाम सुनते ही उसका चेहरा मुरझा गया।

चक्कर खा जाना – बहुत तेज़ धूप में घूमने के कारण वह चक्कर खाकर गिर गया।

दो से चार बनाना – धन के लोभी हर समय दो से चार बनाने में लगे रहते हैं।

आँखों से बोलना – उसकी आँखें बहुत सुन्दर हैं। लगता है वह आँखों से बोलती है।

Question 4:

निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी पर्याय दीजिए −

(क)शिद्दत—————
(ख)याराना—————
(ग)बमुश्किल—————
(घ)खालिस—————
(ङ)नावाकिफ़—————
(च)यकीन—————
(छ)हावी—————
(ज)रेशा—————

Answer:

(क)शिद्दतप्रयास
(ख)यारानादोस्ती, मित्रता
(ग)बमुश्किलकठिन
(घ)खालिसमात्र
(ङ)नावाकिफ़अनभिज्ञ
(च)यकीनविश्वास
(छ)हावीभारी पड़ना
(ज)रेशातंतु

Question 5:

निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए −

(क)चित्रांकन—————+—————
(ख)सर्वोत्कृष्ट—————+—————
(ग)चर्मोत्कर्ष—————+—————
(घ)रूपांतरण—————+—————
(ङ)घनानंद—————+—————

Answer:

(क)चित्रांकनचित्र + अंकन
(ख)सर्वोत्कृष्टसर्व + उत्कृष्ट
(ग)चर्मोत्कर्षचरम + उत्कर्ष
(घ)रूपांतरणरूप + अंतरण
(ङ)घनानंदघन + आनंद

Question 6:

निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए −

(क)कला-मर्मज्ञ—————
(ख)लोकप्रिय—————
(ग)राष्ट्रपति—————

Answer:

(क)कला-मर्मज्ञकला का मर्मज्ञ(संबंध तत्पुरूष समास)
(ख)लोकप्रियलोक में प्रिय(अधिकरण तत्पुरूष समास)
(ग)राष्ट्रपतिराष्ट्र का पति(संबंध तत्पुरूष समास)

Question 1:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?

Answer:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म भारत तथा विदेशों में भी सम्मानित हुई। इस फिल्म को राष्ट्रपति द्वारा स्वर्णपदक मिला तथा बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा यह सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म चुनी गई। फ़िल्म फेस्टिवल में भी इसे पुरस्कार मिला।

Question 2:

शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाईं?

Answer:

शैलेन्द्र ने मात्र एक फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ बनाई।

Question 3:

राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।

Answer:

राजकपूर ने संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी, श्री 420, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् इत्यादि फ़िल्में निर्देशित की।

Question 4:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?

Answer:

इस फ़िल्म में राजकपूर ने ‘हीरामन’ और वहीदा रहमान ने ‘हीराबाई’ की भूमिका निभाई है।

Question 5:

फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?

Answer:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण ‘शैलेन्द्र’ ने किया था?

Question 6:

राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?

Answer:

राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ बनाते समय यह सोचा भी नहीं था कि इस फ़िल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जाएगा।

Question 7:

राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

Answer:

तीसरी कसम की कहानी सुनने के बाद जब राजकपूर ने गम्भीरता से मेहनताना माँगा तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद न थी।

Question 8:

फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?

Answer:

फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को उत्कृष्ट और आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे।

Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए −

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सेल्यूलाइड पर लिखी कविता क्यों कहा गया है?

Answer:

तीसरी कसम फ़िल्म की कथा फणीश्वरनाथ रेणु की लिखी साहित्यिक रचना है। सेल्यूलाइड का अर्थ है- ‘कैमरे की रील’। यह फ़िल्म भी कविता के समान भावुकता, संवेदना, मार्मिकता से भरी हुई कैमरे की रील पर उतरी हुई फ़िल्म है। इसलिए इसे सेल्यूलाइड पर लिखी कविता  (रील पर उतरी हुई फ़िल्म) कहा गया है।

Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए −

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

Answer:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल सके क्योंकि फ़िल्मकारों को इस फ़िल्म से लाभ मिलने की उम्मीद बहुत कम थी। अतः उसे खरीदकर वह नुकसान नहीं उठाना चाहते थे।

Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?

Answer:

शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का उद्देश्य दर्शकों की रूचि की आड़ में उथलेपन को थोपना नहीं बल्कि उनका परिष्कार करना होना चाहिए। कलाकार का दायित्व स्वस्थ एवं सुंदर समाज की रचना करना है, विकृत मानसिकता को बढ़ावा देना नहीं है।

Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है।

Answer:

फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों को इतना ग्लोरिफ़ाई कर दिया जाता है जिससे कि दर्शकों का भावनात्मक शोषण किया जा सके। उनका उद्देश्य केवल टिकट-विंडो पर ज़्यादा से ज़्यादा टिकटें बिकवाना और अधिक से अधिक पैसा कमाना होता है। इसलिए दुख को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं जो वास्तव में सच नहीं होता है। दर्शक उसे पूरा सत्य मान लेते हैं। इसलिए वे त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफ़ाई करते हैं।

Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

‘शैलेन्द्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ − इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

राजकपूर अभिनय में मंझे हुए कलाकार थे और शैलेन्द्र एक अच्छे गीतकार। राजकपूर की छिपी हुई भावनाओं को शैलेन्द्र ने शब्द दिए। राजकूपर भावनाओं को आँखों के माध्यम से व्यक्त कर देते थे और शैलेंद्र उन भावनाओं को अपने गीतों से तथा संवाद से पूर्ण कर दिया करते थे।

Question 6:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?

Answer:

शोमैन का अर्थ है- ऐसा व्यक्ति जो अपनी कला के प्रदर्शन से ज़्यादा से ज़्यादा जन समुदाय इकट्ठा कर सके। वह दर्शकों को अंत तक बाँधे रखता है तभी वह सफल होता है। राजकपूर भी महान कलाकार थे। जिस पात्र की भूमिका निभाते थे उसी में समा जाते थे। इसलिए उनका अभिनय सजीव लगता था। उन्होंने कला को ऊँचाइयों तक पहुँचाया था।

Question 7:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए –

फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?

Answer:

‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन को आपत्ति थी क्योंकि सामान्यत: दिशाएँ चार होती हैं। वे चार दिशाएँ शब्द का प्रयोग करना चाहते थे लेकिन शैलेन्द्र तैयार नहीं हुए। वे दर्शकों के सामने उथलेपन को परोसना नहीं चाहते थे। वे तो दर्शकों की रूचि को परिष्कृत करना चाहते थे।

Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेन्द्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?

Answer:

शैलेन्द्र एक कवि थे। उन्हें फणीश्वरनाथ रेणु की मूल कथा की संवेदना गहरे तक छू गई थी। उन्हें फ़िल्म व्यवसाय और निर्माता के विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं था। फिर भी उन्होंने इस कथावस्तु को लेकर फ़िल्म बनाने का निश्चय किया। उन्हें धन का लालच नहीं था। राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए उन्होंने यह फ़िल्म बनाई थी।

Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया। स्पष्ट कीजिए।

Answer:

राजकपूर अभिनय में प्रवीण थे। वे पात्र को अपने ऊपर हावी नही होने देते थे बल्कि उसको जीवंत कर देते थे। ‘तीसरी कसम’ में भी हीरामन पर राजकपूर हावी नही था बल्कि राजकपूर ने हीरामन को आत्मा दे दी थी। उसका उकड़ू बैठना, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजना, गीतगाता गाडीवान, सरल देहाती मासूमियत को चरम सीमा तक ले जाते हैं। इस तरह उनका महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर गया।

Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?

Answer:

तीसरी कसम फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की पुस्तक ‘मारे गए गुलफाम’ पर आधारित है। शैलेंद्र ने पात्रों के व्यक्तित्व, प्रसंग,  घटनाओं में कहीं कोई परिवर्तन नहीं किया है। कहानी में दी गई छोटी-छोटी बारीकियाँ, छोटी-छोटी बातें फ़िल्म में पूरी तरह उतर कर आईं हैं। शैलेंद्र ने धन कमाने के लिए फ़िल्म नहीं बनाई थी। उनका उद्देश्य एक सुंदर कृति बनाना था। उन्होंने मूल कहानी को यथा रूप में प्रस्तुत किया है। उऩके योगदान से एक सुंदर फ़िल्म तीसरी कसम के रूप में हमारे सामने आई है। लेखक ने इसलिए कहा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत का न्याय किया है।

Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

शैलेन्द्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं। अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

शैलेन्द्र के गीत भावपूर्ण थे। उन्होंने धन कमाने की लालसा में गीत कभी नहीं लिखे। उनके गीतों की विशेषता थी कि उनमें घटियापन या सस्तापन नहीं था। उनके द्वारा रचित गीत उनके दिल की गहराइयों से निकले हुए थे। अतः वे दिल को छू लेने वाले गीत थे। यही कारण है कि उनके लिखे गीत अत्यन्त लोकप्रिय भी हुए। उनके गीतों में करूणा, संवेदना आदि भाव बिखरे हुए थे।

Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए –

फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेन्द्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?

Answer:

शैलेन्द्र की पहली और आखिरी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ थी। उनकी फ़िल्म यश और धन की इच्छा से नही बनाई गई थी। वह महान रचना थी। हीरामन व हीराबाई के माध्यम से प्रेम की महानता को बताने के लिए उन्हें शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ी। उन्होंने हावभाव से ही सारी बात कह डाली। बेशक इस फ़िल्म को खरीददार नही मिले पर शैलेन्द्र को अपनी पहचान और फ़िल्म को अनेकों पुरस्कार मिले और लोगो ने इसे सराहा भी।

Question 6:

शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है−कैसे? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है। शैलेन्द्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे − दुरुह नहीं। उनका कहना था कि कलाकार का यह कर्त्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनके लिखे गए गीतों में बनावटीपन नहीं था। उनके गीतों में शांत नदी का प्रवाह भी था और गीतों का भाव समुद्र की तरह गहरा था। यही विशेषता उनकी ज़िंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया।

Question 7:

लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक के अनुसार ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था। लेखक का यह कथन बिलकुल सही है क्योंकि इस फिल्म की कलात्मकता काबिल-ए-तारीफ़ है। शैलेन्द्र एक संवेदनशील तथा भाव-प्रवण कवि थे और उनकी संवेदनशीलता इस फ़िल्म में स्पष्ट रुप से मौजूद है। यह संवेदनशीलता किसी साधारण फ़िल्म निर्माता में नहीं देखी जा सकती।

Question 1:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

….. वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

Answer:

इन पंक्तियों में लेखक का आशय है कि शैलेन्द्र एक ऐसे कवि थे जो जीवन में आदर्शों और भावनाओं को सर्वोपरि मानते थे। जब उन्होंने भावनाओं, संवेदनाओं व साहित्य की विधाओं के आधार पर ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण किया तो उनका उद्देश्य केवल आत्मसंतुष्टि था न कि धन कमाना।

Question 2:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

उनका यह दृढ़ मतंव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

Answer:

फ़िल्म ‘श्री 420’ के एक गाने में शैलेंद्र ने दसों दिशाओं शब्द का प्रयोग किया तो संगीतकार जयकिशन ने उन्हें कहा कि दसों दिशाओं नहीं चारों दिशाओं होना चाहिए। लेकिन शैलेन्द्र का कहना था कि फ़िल्म निर्माताओं को चाहिए कि दर्शकों की रूचि को परिष्कृत करें। उथलापन उन पर थोपना नहीं चाहिए।

Question 3:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

Answer:

इसमें शैलेन्द्र ने बताया है कि दुख मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब मुश्किल आती है तो वह उससे छुटकारा पाने की बात सोचने लगता है। अर्थात वह जीवन में हार नहीं मानता है।

Question 4:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।

Answer:

धन या लाभ के लालच में जो खरीददार फ़िल्म खरीदते हैं यह फ़िल्म उनके लिए नहीं है। इस फ़िल्म की संवेदनशीलता, उसकी भावना को वे समझ नहीं सकते थे क्योंकि इसमें कोई सस्ता लुभावना मसाला नहीं था।

Question 5:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

उनके गीत भाव-प्रवण थे − दुरूह नहीं।

Answer:

शैलेन्द्र के गीत सीधी-साधी भाषा में लिखे गए थे तथा सरसता व प्रवाह लिए हुए थे। इनके गीत भावनात्मक गहन विचारों वाले तथा संवेदनशील थे।

Question 3:

पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए −

चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना

Answer:

चेहरा मुरझाना – अपना परीक्षा-परिणाम सुनते ही उसका चेहरा मुरझा गया।

चक्कर खा जाना – बहुत तेज़ धूप में घूमने के कारण वह चक्कर खाकर गिर गया।

दो से चार बनाना – धन के लोभी हर समय दो से चार बनाने में लगे रहते हैं।

आँखों से बोलना – उसकी आँखें बहुत सुन्दर हैं। लगता है वह आँखों से बोलती है।

Question 4:

निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी पर्याय दीजिए −

(क)शिद्दत—————
(ख)याराना—————
(ग)बमुश्किल—————
(घ)खालिस—————
(ङ)नावाकिफ़—————
(च)यकीन—————
(छ)हावी—————
(ज)रेशा—————

Answer:

(क)शिद्दतप्रयास
(ख)यारानादोस्ती, मित्रता
(ग)बमुश्किलकठिन
(घ)खालिसमात्र
(ङ)नावाकिफ़अनभिज्ञ
(च)यकीनविश्वास
(छ)हावीभारी पड़ना
(ज)रेशातंतु

Question 5:

निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए −

(क)चित्रांकन—————+—————
(ख)सर्वोत्कृष्ट—————+—————
(ग)चर्मोत्कर्ष—————+—————
(घ)रूपांतरण—————+—————
(ङ)घनानंद—————+—————

Answer:

(क)चित्रांकनचित्र + अंकन
(ख)सर्वोत्कृष्टसर्व + उत्कृष्ट
(ग)चर्मोत्कर्षचरम + उत्कर्ष
(घ)रूपांतरणरूप + अंतरण
(ङ)घनानंदघन + आनंद

Question 6:

निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए −

(क)कला-मर्मज्ञ—————
(ख)लोकप्रिय—————
(ग)राष्ट्रपति—————

Answer:

(क)कला-मर्मज्ञकला का मर्मज्ञ(संबंध तत्पुरूष समास)
(ख)लोकप्रियलोक में प्रिय(अधिकरण तत्पुरूष समास)
(ग)राष्ट्रपतिराष्ट्र का पति(संबंध तत्पुरूष समास)

NCERT Solutions Class 10 Hindi – Sparsh – ALL Chapters (हिन्दी स्पर्श के सभी पाठ के प्रश्न-उत्तर)

Chapter 1: साखी
Chapter 2: पद
Chapter 3: दोहे
Chapter 4: मनुष्यता
Chapter 5: पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter 6: मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
Chapter 7: तोप
Chapter 8: कर चले हम फ़िदा
Chapter 9: आत्मत्राण
Chapter 10: बड़े भाई साहब
Chapter 11: डायरी का एक पन्ना
Chapter 12: तताँरा-वामीरो कथा
Chapter 13: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter 14: गिरगिट
Chapter 15: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
Chapter 16: पतझर में टूटी पत्तियाँ
Chapter 17: कारतूस

NCERT Solutions Class 10 Hindi – Sanchyan – ALL Chapters (हिन्दी संचयन के सभी पाठ के प्रश्न-उत्तर)

Chapter 1: हरिहर काका
Chapter 2: सपनों के से दिन
Chapter 3: टोपी शुक्ला

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 – All Subjects

Advertisement

Leave a Reply