रहीम के दोहे Rahim ji ke dohe in hindi
रहिमन चाक कुम्हार को, मांगे दिया न देइ।
छेद में डंडा डारि कै, चहै नांद लै लेइ।
Rahiman chak kumhaar ko, maange diya na dei
Chhed mein danda daari kai, chahai naand lai lei
अर्थात (Meaning in Hindi): जिसकी लाठी उसकी भैंस। अर्थात डंडे का माहात्म्य ऐसा है कि उसके आगे सब नतमस्तक हो जाते हैं।
रहीम कहते हैं, यदि कुम्हार अपने चाक से कहे कि भाई, मेरे लिए एक दीया तो तैयार करके दे, तो चाक उसकी एक न सुनेगा। हां, जब कुम्हारा चाक के छिद्र में डंडा डालकर उसे घुमाता है तो दीया तो क्या विषाल नाद तक बनाकर दे देता है।
राज करत रजपूतनी, देस रूप को दीप।
कर घूंघट पर ओट कै, आवत पियहि समीप।।
Raj karat rajpootni, des roop ko deep
Kar ghoonghat par ot kai, aavat piyanhi sameep
अर्थात (Meaning in Hindi): मुगल सम्राट अकबर का राजपूताने के अनेक राजाओं से मधुर संबंध था। रहीम कई बार अकबर के प्रतिनिधि के रूप में राजपूताने गए थे। वह वहां की नारियों के शील व वीरता से अत्यधिक प्रभावित हुए थे। इस दोहे में रहीम ने ऐसी ही एक नारी के चरित्र का वर्णन प्रस्तुत किया है।
रहीम कहते हैं, राजपूतनी का चरित्र विलक्षण है। भले ही उसे राज गद्दी न मिली हो, किंतु महल में उसी का राज चलता है। उसी के रूपदीप से सारा देश प्रदीप्त है। उसे कुल की मर्यादा का आभास है। अतः जब वह पिया के समीप आती है, तब मुख को घुंघट की ओट में कर लेती है।
भटियारी उन मुंह करै, प्रेम पथिक को ठौर।
धौस दिखावै और की, रात दिखावै और।।
Bhatiyaari un munh karai, prem pathik ko thour
Dhouns dikhavai aur kee, raat dikhaavai aur
अर्थात (Meaning in Hindi): स्वार्थ पूरा होने के बाद स्वार्थी का सारा व्यवहार बदल जाता है। स्वार्थी से कुछ पाने की आशा करना व्यर्थ है। वह अपना काम बनाकर मुंह मोड़ लेता है, जैसे किसी को पहचानता तक न हो।
रहीम कहते हैं, पथिक को अपनी सराय में ठहरने को बाध्य करने के लिए भटियारी सारे दांव पेंच चलाती है। वह मुंह से हार्दिक वचन बोलकर पथिक का मन मोह लेती है। पथिक को उसके प्रेम में अपना ठिकाना नजर आता है और वह सराय में बस जाता है। इसके बाद भटियारी की नजरों से पथिक उतर जाता है। वह प्रेम की आस लिए उसके पास आता है तो उस पर बिफर पड़ती है। उसे दूसरे (मर्द) की धौंस दिखाती है और रात के समय कोई और ठिकाना खोजने की धमकी देती है।
कौन बड़ाई जलधि मिलि, गंग नाम भो धीम।
केहि की प्रभुता नहिं घटी, पर घर गये रहीम।।
Kaun badhaai jaladhi mili, gang naam bhee dheem
Kehi kee prabhuta nahin ghati, par ghar gaye rahim
अर्थात (Meaning in Hindi): पराये घर में अतिथि के रूप में अधिक दिन रहने से आदर-सम्मान घट जाता है। ऐसे लोग जो अकारण घर में डेरा जमा लेते हैं, उन्हें अपमान भी सहना पड़ता है।
प्रस्तुत दोहे में रहीम इस बात का वर्णन करते हुए कहते हैं, गंगा का बहुत सम्मान है। उसकी पवित्रता अक्षुण्ण है। लेकिन सागर में जाकर मिल जाने से उसे कुछ हासिल नहीं होता। सागर के खारे जल में अपनी पावनता तिरोहित करके वह कोई सम्मान नहीं पाती। सच तो यह है कि पराये घर में शरण लेने से महिमा अवश्य घट जाती है। कोई ऐसा नहीं जिसका सम्मान ऐसे में सुरक्षित रह सके।
चिंता बुद्धि परखिए, टोटे परख त्रियाहि।
उसे कुबेला परखिए, ठाकुर गुनी किआहि।।
Vhinta buddhi parakhiye, tote parakh triyaahi
Use kubela parakhiye, thakur guni kiaahi
अर्थात (Meaning in Hindi): सुख के अवसर पर यह जानना बहुत कठिन है कि कौन हितैषी है। ऐसे समय में सब हास परिहास में सुख का समय व्यतीत कर देते हैं। हितकारियों की परख तो कष्ट के समय में होती है। विशेषकर जिन्हें बहुत निकट माना जाता है, उनका वास्तविक स्वरूप विपत्ति के समय ही उजागर होता है। अपनी बुद्धि का परीक्षण भी मनुष्य कष्ट के दौरान ही कर पाता है।
रहीम कहते हैं, अपनी बुद्धि पर किसे गर्व नहीं होता। सबकी यही धारणा होती है कि मुझसे अधिक समझदार कोई नहीं। पर मनुष्य की बुद्धि ठीक से काम कर पाती है अथवा नहीं, इसकी परख करना समय के हाथों में है। चिंताओं मे पड़ जाने में आमतौर पर मनुष्य की बुद्धि काम नहीं कर पाती। अतः उसी समय पता चलता है कि कौन बुद्धि से काम लेकर चिंताओं से मुक्त होता है और कौन नहीं।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।