2014 में नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनवाने वाले और 2015 में नीतीश कुमार को बिहार में विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर अगले पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टेन अमरिंदर सिंह की नैय्या खेते नजर आएंगे. आल इंडिया कांग्रेस समिति (AICC) ने पंजाब कांग्रेस के प्रशांत किशोर की सेवाएं लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
मीडिया के सामने यह बात खुद कैप्टेन अमरिंदर सिंह, जो कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और सम्भवत: आगमी पंजाब विधानसभा चुनाव में पंजाब कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी है, ने खुद रखी. बताया जाता है अमरिंदर सिंह बिहार विधानसभा चुनावों के बाद से ही प्रशांत किशोर के संपर्क में हैं और उनकी ३ बैठकें हो चुकी हैं जिनमें पंजाब चुनाव मिलकर काम करने की सहमति बन चुकी थी. बस कांग्रेस आला कमान से अनुमति मिलने की देर थी, जो अब मिल चुकी है सो अब यह बात सबके सामने खुल गई है.
कांग्रेस आला कमान प्रशांत किशोर की सेवाओं का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में करना चाहता था जहाँ विधानसभा की 403 सीटें हैं वहीँ पंजाब में मात्र 117 सीटें हैं. किन्तु यूपी के मुकाबले पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बेहतर उम्मीदों को देखते हुए अंतत: प्रशांत किशोर को पंजाब विधानसभा चुनाव की कमान देने का फैसला हुआ.
प्रशांत किशोर भी उत्तर प्रदेश के मुकाबले पंजाब में ही कांग्रेस के साथ काम करने के इच्छुक बताये जा रहे हैं. किन्तु वह अपने काम में किसी भी तरह का दखल नहीं चाहते यह बात उन्होंने अमरिंदर को पहले ही बता दी है. सूत्रों के अनुसार वह जून में पंजाब आ कर जमीनी हक़ीक़त देखेंगे और पंजाब के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और धार्मिक समीकरणों को समझ कर क्षेत्रवार रिपोर्ट तैयार करेंगे. इस रिपोर्ट के आधार पर ही विजयी हो सकने वाले प्रत्याशियों की पहचान की जाएगी.
इसके साथ ही पंजाब विधानसभा चुनाव की रणनीति, नारों और कैंपेन के मुख्य बिन्दुओं को भी तय कर लिया जायेगा ताकि उस पर काम करने का पर्याप्त समय मिल सके.
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इस फैसले से एक बात और निकल कर आ रही है कि भाजपा, सपा और बसपा के मुकाबले कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अपनी सीमित चुनावी संभावनाएं नजर आ रही हैं और यह भी संभव है कि पार्टी अकेले चुनाव न लड़कर गठबंधन बना कर भाजपा को मात देने का प्रयास करे जैसा कि उसे बिहार चुनाव में सफलता मिल चुकी है. बिहार में कांग्रेस को विजय का क्रेडिट तो नहीं मिला जो लालू के हिस्से में आया किन्तु कांग्रेस को यह संतोष जरूर है कि उसने गठबंधन के सहारे बीजेपी को सत्ता से दूर करने में सफलता पा ली.