नेल्सन की आयु अभी 12 वर्ष ही थी। वह इंग्लैंड का रहनेवाला था। काम सीखने की ललक उसमें शुरू से ही थी। वह अपने मामा के साथ समुन्द्री जहाज पर जाया करता था, वहीं उसने काम सीखा। कालातंर में वह कुशल नाविक बन गया।
जब उत्तरी धुव्र की खोज की जानी थी तब ‘रेसहार्स’ नामक जहाज में वह भी यात्री था।
एक दिन जहाज लंगर डाले खड़ा था। अवसर का लाभ उठाते हुए नेल्सन अपने कप्तान साथी के साथ भ्रमण कर निकला। थोड़ी दूर पर ही उन दोनों की मुठभेड़ एक जंगली रीछ से हो गई। शुरू में तो नेल्सन रीछ पर गोलियां दागता रहा। लेकिन संयोगवश एक भी गोली रीछ को नहीं लगी। अब उसके पास गोलियां भी खत्म हो चुकी थीं लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और बंदूक के कुंदे से उस पर प्रहार करने लगा। इधर उसका कप्तान साथी जहाज की ओर दौड़ चला। कुछ समय बाद वह लौटा और उसने एक ही गोली से रीछ को ढेर कर दिया।
कप्तान साथी ने नेल्सन से पूछा, ‘क्या तुम्हें रीछ से बिल्कुल भी भय नहीं लगा?’
वह बोला, ‘ऐसी कोई बात नहीं थी। मैंने तो विचार बना लिया था कि इस रीछ की खाल मैं अपने पिता के लिए जाऊंगा।’
यही नेल्सन बाद में ब्रिटिश सेना का सेनानायक बना और इसी ने वाटरलू के मैदान में नेपोलियन को शिकस्त दी थी।