दिल्ली: सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को ख़त्म करने की सिफारिश की है. अगर राष्ट्रपति कैबिनेट की यह रिकमेन्डेशन स्वीकार कर लेते हैं तो राज्य में प्रेजिडेंट रूल की जगह फिर से चुनी हुई सरकार बनने का रास्ता खुल जाएगा. अरुणाचल में 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
कैबिनेट ने जो सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेजी हैं उनमें गवर्नर राजखोवा की वह रिपोर्ट भी शामिल है जिसमें उल्लेख है कि राज्य के विभिन्न विधायी गुटों ने उनसे मिल कर चुनी हुई लोकतान्त्रिक सरकार बनाने में रूचि दिखाई है.
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन ख़त्म होता है तो कांग्रेस के बागी गुट के नेता कोलिखो पुल भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. यह भी खबर आई थी कि कोलिखो ने सोमवार को राज्यपाल से मिलकर बहुमत विधायकों के समर्थन और राज्य में सरकार के गठन के लिए दावा पेश किया था. कोलिखो के साथ कांग्रेस के 19 बागी विधायक और बीजेपी के 11 विधायक और दो निर्दलीय मेंबर भी राज्यपाल से मिलने गए थे।
उधर कांग्रेस नहीं चाहती है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन को समाप्त कर सरकार बनाने का मौका कोलिखो को मिले. कल गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट कर राजयपाल की सिफारिश को reject करने का अनुरोध किया.
ध्यान रहे कि कांग्रेस पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश में नई सरकार के गठन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था किन्तु उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में कोई भी रोक लगाने से इंकार कर दिया था.
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पिछले कई महीनों से जारी राजनीतिक उथल-पुथल नई सरकार के गठन के बाद रुक सकती है. कांग्रेस की सरकार में शामिल ४२ में से २१ विधायकों के बागी नेता कोलिखो के नेतृत्व में पार्टी से बाहर आकर भाजपा के साथ कांग्रेस की नाबाम तुर्की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और नाबाम तुर्की की सरकार गिर गई थी. कांग्रेस फिर भी असेंबली भंग न कर जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशों के द्वारा अपनी सरकार बचाने में लगी हुई थी .