Kyon Hai Hindu Dharam Ke Anusar Pooja Ghar Mein Mrit Purvajo Ki Tasveeren Rakhne ki Manahi ?
हिन्दू धर्म में पूजा सही विधि एवं सामग्री से की जाए, इसका भी ख्याल रखा जाता है। इसके बाद यदि तीसरी किसी बात को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है, वह है पूजा करने का स्थल। जैसे कि मंदिर या फिर घर में ही मंदिर का रूप देकर बनाया गया पूजा स्थल।
यह पवित्र हो, कोई अशुद्ध वस्तु यहां ना हो, इस बात का ध्यान रखा जाता है। घर के मंदिर में रोज़ाना परिवार-जन एकत्रित होकर पूजा करना सही मानते हैं और अंत में भगवान को भोग लगाकर सभी में बांटा भी जाता है।
हिन्दू घरों में पूजा घर को हमेशा साफ एवं सुगंधित बनाए रखने के प्रयास किए जाते हैं। लेकिन इसके अलावा भी ऐसी कई बातें हैं जिनसे अनजान हैं लोग। पूजा घर को सजाने के लिए वे हर प्रकार की वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, जो उनके हिसाब से तो सही होती हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार वे अशुभ हैं।
आम लोग केवल इतना ही जानते हैं कि पूजा घर में खण्डित मूर्ति, किसी प्रकार का कूड़ा या इस्तेमाल ना हो रही वस्तुएं, इत्यादि नहीं होनी चाहिए। लेकिन इसके अलावा और क्या पूजा घर में गलती से भी नहीं रखना चाहिए इस बात से जरूर अनजान हैं आप। हिन्दू परिवारों के अमूमन पूजा घरों में आप भगवान की मूर्तियों के अलावा कुछ तस्वीरें भी पाएंगे। ये तस्वीरें देवी-देवता की भी होती हैं और इसके अलावा जो लोग संत-महात्मा पर विश्वास करते हैं, वे उनकी तस्वीर भी पूजा घर में लगाते हैं। लेकिन इसके अलावा कुछ लोग अपने मृत पूर्वज या फिर परिजनों की तस्वीर भी पूजा घर में लगाते हैं।
ऐसा कभी ना करें…. शास्त्रों एक अनुसार कभी भी पूजा घर में मृत हो चुके व्यक्ति की कोई भी वस्तु या तस्वीर तो बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए। यह शास्त्रों की दृष्टि में अशुभ है, इससे आपकी पूजा बेकार होती है और घर-परिवार पर संकट भी आते हैं।
कुछ लोग जो अपने मृत परिजनों को बेहद प्रेम करते हैं, वे उनके चले जाने के बाद उन्हें सम्मान देने हेतु मंदिर में उनकी तस्वीर लगाते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए। ना केवल पूजा घर में अन्य मूर्तियों के साथ, वरन् पूजा घर की दीवारों पर भी मृत परिजनों की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं।
वास्तु के अनुसार घर का पूजा स्थल हमें उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यदि इसमें नहीं तो आप केवल उत्तर या पूर्व दिशा भी चुन सकते हैं, किंतु उत्तर-पूर्व दिशा पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। वास्तु शास्त्र में मर चुके परिवार के लोगों की तस्वीर कभी भी इन तीन दिशाओं में नहीं लगानी चाहिए।
मृत परिजनों की तस्वीरों को लगाने के लिए घर की दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम दिशा ही चुनी जानी चाहिए। यदि इसके अलावा किसी अन्य दिशा में मृत परिजनों की तस्वीर लगाई जाए तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को लेकर आता है। जो सबसे पहले परिवार के लोगों की मानसिक अवस्था पर अटैक करता है।
अब जब पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में विराजमान हो, तो यहां मृत परिजन की तस्वीर लगाना बिलकुल भी सही नहीं है। यह घर वालों के लिए ही बुरा सिद्ध हो सकता है। लेकिन ना केवल वास्तु शास्त्र में वरन् देवी-देवता से जुड़ी मान्यताओं में भी देव-मूर्तियों के साथ परिवार के सदस्यों की तस्वीर लगाना गलत है।
कुछ लोग जो अपने माता-पिता या अपने से बड़ों से भगवान से भी अधिक प्रेम करते हैं, उन्हें मानते हैं, वे उनकी पूजा करना आरंभ कर देते हैं। उनकी तस्वीर को पूजा घर में स्थापित कर रोज़ाना उनकी पूजा करते हैं, लेकिन ऐसा करके वे देवी-देवताओं को क्रोधित करते हैं।
ऐसा कहा गया है कि कोई भी आम मनुष्य़ देवी-देवताओं से ऊपर नहीं हो सकता। भगवान का स्थान हमेशा उच्च है और उच्चतम ही रहेगा। इसलिए उनकी बराबरी में ज़िंदा या फिर मर चुके परिवार के लोगों की तस्वीर रखकर पूजा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से देवी-देवता रुष्ट होकर मनोकामना की पूर्ति कभी नहीं करते।
लेकिन फिर भी यदि कोई मन से परिवार के किसी सदस्य की तस्वीर पूजा घर में रखना भी चाहे, तो उसे भगवान की मूर्ति या तस्वीर से नीच रखें। देवी-देवता की तस्वीर के बिलकुल बराबर ना रखें। किंतु यह केवल मान्यता है, वास्तु शास्त्र के अनुसार तो पूजा घर में मृत परिजनों की तस्वीर रखनी ही नहीं चाहिए।