यदि मैं करोड़पति हो जाऊँ – लेख
स्वप्न देखना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। विकास की पहली सीढ़ी महत्वाकांक्षी होना है। मैं अक्सर सोचता हूँ कि अगर मुझे एक करोड़ रूपये प्राप्त हो गये! मान लीजिये हो गये तो…….
बस, यही सोचना मेरी दिनचर्या बन गयी है जब से मैंने कौन बनेगा करोड़पति देखना प्रारम्भ किया है। मुझे सोते जागते सपने आते हैं कि मैं पैसों के बिस्तर पर सो रहा हूँ। मेरे चारों ओर नौकर हाथ बाँधे खड़े हैं। बहुत बड़ा एक घर है जिसके चारों ओर हरे भरे वृक्ष हैं जो फूलों एवं फलों से लदे हुये हैं।
यह सब तो स्वप्न की बातें हैं, लेकिन अगर वास्तव में मेरी लाटरी निकल जाये और मुझे एक करोड़ रूपय मिल जायें तो मैं एक एक पैसा सोच समझ के खर्च करूँगा। रूपये को देखकर उन्मादित नहीं होऊँगा। इन रूपयों के प्रत्येक अंश को सदुपयोग करने की योजना बनाऊँगा।
मेरे मन में एक अच्छा प्रारम्भ से ही बलवती है कि मैं एक ऐसा स्कूल खोलूँ जिसमें गरीब और बेसहारा बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलें।
मैं एक ऐसा अस्पताल भी बनवाना चाहता हूँ जिसमें धन की कमी के कारण किसी बच्चे के माता पिता, भाई बहन या सम्बन्धी न मरें। मुझे लगता है दुनिया के कष्ट हरने, दुख दूर करने के लिये मैं जो कर सकता हूँ, करूँ। इन दोनों कार्यों से मेरी आत्मा प्रसन्न हो जायेगी।
बाकी बचे पैसों को मैं ऐसी जगह निवेश करना चाहूँगा जिससे गरीबों और जरूरतमंद लोगों को जरूरत पड़ने पर उन्हें ऋण दे सकूँ ताकि वह अपने स्वप्न पूरे कर सकें।
एक करोड़ रूपय में अगर अब भी पैसे बचे तो मैं एक पुस्तकालय बनवाऊँगा। जिससे देश विदेश के सभी लेखकों की उपयोगी एवं शिक्षाप्रद पुस्तकें हर एक विषय पर उपलब्ध हों। जहाँ जाकर मैं अपने समय और ऊर्जा का सदुपयोग कर सकूँ। इस पुस्तकालय से पुस्तक प्राप्त करने का अधिकार सभी को होगा। इस तरह मेरे देश के नागरिक शिक्षित और जागरूक हो जायेंगे।