Grihaan ke bad snan kyon karna chahiye?
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण करने के बाद स्नान करना बहुत जरूरी माना गया है क्योंकि ग्रहण के समय में आकाशीय प्रदूषण होता है।
आकाशीय प्रदूषण के इस समय को सूतक काल कहा गया है। इसीलिए सूतक काल और ग्रहण के समय में भोजन तथा पेय पदार्थों के सेवन की मनाही की गई है। साथ ही इस समय मंत्र जप व पूजा पाठ के बाद दान पुण्य आदि करने के बाद भोजन करने का नियम बताया गया है।
ग्रहण के वक्त प्रकाश की किरणों में विवर्तन होता है। इस कारण कई हजार सूक्ष्म जीवणु मरते हैं और कई हजार पैदा होते हैं। इसलिये पानी दूषित हो सकता है। अगर आप ग्रहण के वक्त बाहर रहे हैं, तो स्नान से विषाणुओं से दूर रह सकते हैं।
इसलिए ऋषियों ने पात्रों में कुश डालने को कहा है, ताकि सभी कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है तांकि कीटाणुओं का बुरा प्रभाव खत्म हो जाए। ग्रहण के बाद स्नान करने का विधान इसलिए बनाया गया तांकि स्नान के दौरान शरीर के अंदर ऊष्मा का प्रवाह बढ़े, भीतर बाहर के कीटाणु नष्ट हो जाएं और धूल कर बह जाएं।
ग्रहण के बाद पवित्र नदियों में स्नान करने से ग्रहण के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं। ग्रहण के समय पहने हुए कपड़ों को ग्रहण के बाद धोकर व शुद्ध करके ही दोबारा पहनना चाहिए।