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बैठी रही अति सघन वन पैठि सदन तन माँहदेखि दुपहरी जेठ की, छाँह में कौनसा अलंकार है?

बैठी रही अति सघन वन पैठि सदन तन माँहदेखि दुपहरी जेठ की, छाँह में कौनसा अलंकार है?

प्रश्न – बैठी रही अति सघन वन पैठि सदन तन माँहदेखि दुपहरी जेठ की, छाँहो चाहति छाँह में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।

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उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि यहाँ अंतिम वर्णों में तुकांत है। बिहारी के इस दोहे में प्रकृति निरीक्षण की अभिव्यक्ति हुई है। तुक मिलने से कविता सुंदर बन गई है।

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का कौन सा भेद हैं?

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जहां काव्य के अंत में तुकांत होता है वहाँ अंत्यानुप्रास होता है। इस पंक्ति में माँह और छाँह में तुकांत है इसलिए इसमें अंत्यानुप्रास है।

जैसा कि आपने इस उदाहरण में देखा जहां पर किसी वर्ण के विशेष प्रयोग से पंक्ति में सुंदरता, लय तथा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है उसे हम शब्दालंकार कहते हैं।

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अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

बैठी रही अति सघन वन पैठि सदन तन माँहदेखि दुपहरी जेठ की, छाँहो चाहति छाँह में अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।

इस काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार की उपस्थिति –

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इस पंक्ति में छाँह का मानवीकरण किया गया है इसलिए इसमे मानवीकरण अलंकार है।

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