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रहिमन जो रहिबो चहै, कहै वाहि के दांव – Rahim Ke Dohe

रहीम के दोहे Rahim ke dohe with meaning in hindi

रहिमन जो रहिबो चहै, कहै वाहि के दांव।Rahim ke dohe
जो बासर को निसि कहै, तो कचपची दिखवा।।

Rahiman jo rahibo chai, kahai vahi ke danv
Jo baasar ko nisi kahai, to kachpachi dikhaanv

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अर्थात (Meaning in Hindi): अकबर के निधन के बाद राजदरबार का स्वरूप ही बदल गया। महल की आंतरिक स्थिति विशाक्त हो गई। शहजादों में गद्दी पाने की होड़ मची हुई थी। चारों तरफ षड्यंत्रों का ताना बाना बुना जा रहा था। जहांगीर के गद्दीनशीं होने के बाद रहीम की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। ऐसे में रहीम ने अपने अनुभव से यह सच्चाई जान लो कि अब यदि अपना अस्तित्व बनाए रखना है तो ‘हां’ में ‘हां’ मिलाना जरूरी है। इसी अंतर्वेदना का वर्णन इस दोहे में किया गया है।

रहीम कहते हैं, अब यदि जीवित रहना चाहते हो तो उन्हीं के दांव का अनुसरण करो, अपने दांव भूल जाओ, इसी में शांति और सुख मिल सकता है। यदि वे दिन को रात कहें तो शीघ्र ही स्वीकार कर लो, ‘हां’, यह रात है और तारा पुंज नजर आ रहा है।

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रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
जहां गांठ तहं रस नहीं, यही प्रीति में हानि।।

Rahiman khajai ookh mein, jahan rasan kee khaani
Jahan gaanth tahan ras nahin, yahee preeti mein haani

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अर्थात (Meaning in Hindi): प्रीति बड़ा मुग्धकारी भाव है। यह शत्रुता को तिरोहित करता है और पारस्परिक अपनत्व में वृद्धि करता है। इसमें अहं, स्वार्थ व अहंकार का कोई स्थान नहीं होता। इनके समावेश से प्रीति में गांठ पड़ जाती है और जहां गांठ होती है, वहां प्रेम रस नहीं होता।

रहीम कहते हैं, मैंने ईख को भलीभांति निरख परख लिया है। वह तो रस की खान है। किंतु उसमें एक दोष यह है कि जहां जहां गांठ है, वहां रस नहीं। अब जहां गांठ होगी, वहां रस की कल्पना कैसे की जा सकती है। यह गांठ प्रीति में पड़ जाए तो उसे नष्ट होते देर नहीं लगती। प्रेम का सबसे बड़ा शत्रु एकमात्र यही गांठ है।


रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
मृग उछरत आकाश को, भूमी खनत बराह।।

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Rahiman apne got ko, sabai chata utsaah
Mrug uchharat aakaash ko, bhumi khana baraah

अर्थात (Meaning in Hindi): अपने वंश की परंपरा पर किसे गर्व नहीं होता। सब चाहते है कि वंश की पंरपरा का सफलतापूर्वक निर्वाह हो। रघुकुल की पंरपरा थी कि प्राण जाए, पर वचन न जाए। रघुकुल सदा अपनी इसी परंपरा पर कायम रहा।

रहीम इस तथ्य को प्रतीक के माध्यम से इस प्रकार रेखांकित करते हैं, अपनी वंश परंपरा को सभी चाहते हैं और उत्साह से उसका अनुसरण करते हैं। यही कारण है कि मृग अपनी वंश परंपरा के अनुसार सदैव आकाश की ओर उछलता है, जबकि सूअर हमेशा भूमि खनन में लगा रहता है। (पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा के रथ का संवाहक मृग है, अतः मृग का आकाश की ओर उछलना स्वाभाविक है। विष्णु ने वराह लिया था और हिराण्याक्ष का वध करके पाताल से पृथ्वी वापस लाए थे। यही कारण है कि वराह जमीन खोदता रहता है।)


समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
रहिमन दीन अनाथ को, तुम बिन को भगवान।।

Samay sadaa kul dekhi kai, sabai karat sanmaan
Rahiman deen anaath ko, tum bin ko bhagwaan

अर्थात (Meaning in Hindi): अज्ञानी मानव की यह सहज प्रवृत्ति है कि वह लोगों की संपन्नता व दीनता देखकर उसी के अनुकूल उनको मानता है। संपन्न व्यक्ति उसकी दृष्टि में श्रेष्ठ होते हैं और दीन व्यक्ति हेय। जबकि होना यह चाहिए कि सबको एक दृष्टि से देखा जाए। अन्यथा दीन व्यक्ति का तो समाज में रहना दूभर हो जाएगा।

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अतः रहीम का भगवान से अनुरोध है, लोगों की मति मारी गई है। वे समय, दशा और कुल देखकर सबका सम्मान करते हैं। यदि किसी का बुरा समय चल रहा है, उसकी दिशा चिंतनीय है अथवा वह निर्धन कुल से संबंधित है तो उसका सम्मान कोई नहीं करता। हे भगवान! ऐसे दीन अनाथों का तुम्हारे बिना कोई नहीं। तुम्हारी दया ही उनका जीवनाधार है।


राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
कहि रहीम क्यों मानिहैं, जम के किंकर कानि।।

Ram nam janyo nahin, bhai puja mein haani
Kahin rahim kyon mani hain, jam ke kinkar kaani

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अर्थात (Meaning in Hindi): ऐसे लोगों को क्या कहा जाए, जो आजीवन सांसारिक मोह माया में लिप्त रहकर भगवान का मनन नहीं करते, अंत समय में उन्हें पछतावा अवश्य होता है। क्योंकि न माया सदैव उनके संग रह पाती है और न वे खुद राम की शरण प्राप्त कर पाते हैं।

रहीम कहते हैं, ऐसे लोग घोर मूढ़ व अज्ञानी होते हैं, जो राम का नाम नहीं लेते, उनके नाम की महिमा से भी अपरिचित होते हैं। उनकी दृष्टि में पद, यश व धन ही सबकुछ है, वे इसी को महत्व देते हैं। सच तो यह है, ऐसे लोग अपना मूल्यवान जन्म व्यर्थ गंवा देते हैं। राम के नाम में ऐसा प्रताप है कि इससे पतित जन्म भी पावन बनता है।

25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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