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तेग बहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ, तेगबहादु में कौनसा अलंकार है?

तेग बहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ, तेगबहादु में कौनसा अलंकार है?

प्रश्न – तेग बहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ, तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।

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उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है क्योंकि इसमें शब्दों की आवृत्ति हुई है । शब्दों की आवृत्ति के कारण इसमें चमत्कार उत्पन्न हो रहा है।

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का कौन सा भेद हैं?

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जब काव्य में किसी शब्द या वाक्य का दुहराव होता है तब वहाँ लाटानुप्रास होता है। इस पंक्ति में तेग बहादुर और गुरु पंक्तिवी की आवृत्ति हुई है इसलिए इसमें लाटानुप्रास है।

जैसा कि आपने इस उदाहरण में देखा जहां पर किसी वर्ण के विशेष प्रयोग से पंक्ति में सुंदरता, लय तथा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है उसे हम शब्दालंकार कहते हैं।

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अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

तेग बहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ, तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ में अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।

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