Grishm Ritu par laghu nibandh
प्रस्तावना- भारत में एक के बाद एक छः ऋतुएँ आती हैं। उन ऋतुओं में ग्रीष्म ऋतु का अपना महत्व है। ऋतु राज बसन्त की समाप्ति पर प्रकृति के आंचल में ग्रीष्म का आगमन होता है। जीवन में एक प्रकार की वस्तु से नीरसता आ जाती है। एक ही प्रकार का बढ़िया से बढ़िया भोजन भी कुछ दिनों के बाद नीरस सा लगने लगता है। भोजन में भिन्न-भिन्न रसों और स्वादों का होना आवश्यक है। उसी प्रकार स्वस्थ और आनंद मुक्त जीवन के लिए विभिन्न प्रकार की ऋतुओं का होना आवश्यक है।
ग्रीष्म ऋतु- ज्येष्ठ और आशाढ़ के महीने ग्रीष्म ऋतु के होते हैं। इन मासों में सूर्य की किरणें इतनी तेज होती हैं कि प्रातः काल में भी उन्हें सहन करना सरल नहीं होता। गर्मी इतनी अधिक होती है कि बार बार स्नान करने में आनंद आता है। शर्बत और ठंडा पानी पीने की इच्छा होती है। प्यास बुझाए नहीं बुझती। पानी जितना पिओ, उतना थोड़ा है। लू इतनी प्रचंड होती है कि उन्हें घर से बाहर निकलने का मन ही नहीं करता।
गर्मियों में दिन लम्बे होते हैं और रातें छोटी। चलना फिरना भी इस मौसम में कष्टदायक हो जाता है। समय कटते नहीं कटता। मकान की दीवारें तक तप जाती हैं। पंखे भी गर्म हवा उगलने लगते हैं। कूलर के बिना गुजारा होना मुश्किल हो जाता है।
लाभ- गर्मी से हमें लाभ भी बहुत हैं। यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा भी खूब होती है। गर्मी के कारण ही अनाज पकता है और खाने योग्य बनता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस ऋतु में आम, लीची आदि अनेक रसीले फल भी होते हैं। इनका स्वाद ही निराला होता है।
उपसंहार- प्रत्येक ऋतु की अपनी अपनी विशेषता और अपना अपना महत्व है। ग्रीष्म ऋतु गरीब आदमियों के लिए तो वरदान है। जहाँ जी चाहे सो जाओ। सारी धरती अपनी है। पर अमीर लोगों के लिए भी गर्मी का मौसम कम आकर्षक नहीं। वे वातानुकूलित कमरों का आनंद लेते हैं। पर्वतों की सैर करने का आनंद भी तो ग्रीष्म ऋतु में आता है।
इस प्रकार ग्रीष्म ऋतु गरीबों और अमीरों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। किसान भी इसे कम महत्वपूर्ण नहीं मानता। वस्तुतः ग्रीष्म ऋतु का अपना महत्व और आकर्षण है। इसमें कोई संदेह नहीं।