प्रस्तावना- जब संसार में अत्याचार और पाप बढ़ जाते हैं। लोगों में घृणा की भावना प्रबल हो जाती है। लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। सहनशीलता समाप्त हो जाती है। प्रेम की भावना लुप्त हो जाती है। तब इस संसार में कोई-न-कोई ऐसा महान पुरूष जन्म लेता है जो इन बुराइयों को दूर करने का प्रयत्न करता है।
क्रिसमस पर निबंध संग्रह (सभी वर्ग के बच्चों के लिए )
राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि बड़ी बड़ी हस्तियाँ ऐसे ही समय में इस संसार में आई थीं और उन्होंने संसार में शान्ति तथा प्रेम का संदेश दिया था। इसी प्रकार ‘ईसा मसीह’ ने भी इस संसार में बढ़ते हुए वैर द्वेष आदि की भावना को दूर करने का प्रयत्न किया।
ईसा का जन्म काल-ईसा का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। उनकी माता का नाम मरिया था। ईसा के जन्म के काल में लोगों में अंधविश्वास फैला हुआ था। वे अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। आतंक का साम्राज्य था शासक अत्याचार कर रहे थे।
ईसा मसीह ने बड़ा होने पर यह देखा कि लोग आपस में लड़ झगड़ रहे हैं। उन में सहनशीलता नहीं है। वे एक दूसरे की सहायता नहीं करते।
ईसा के उपदेश- ईसा मसीह ने लोगों को भाईचारे का संदेश दिया।उन्होंने लोगों को समझाया और बताया कि ईश्वर एक है। हम सब उसकी सन्तान हैं। हम सब यदि प्रेम से रहेंगे तो वह हम सब पर प्रसन्न होगा। मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। उन्होंने लोगों को सहनशील बनने के लिए कहा। छोटी छोटी बातों के लिए आपस में लड़ना ठीक नहीं।
उपदेशों का प्रभाव- ईसा के उपदेशों का लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ा लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानने लगे। उनकी पूजा होने लगी। यह धर्म के ठेकेदारों को अच्छा नहीं लगा। वे उनसे जलने लगे। उन्होंने शासकों से उनकी शिकायत की। शासकों ने उनकी शिकायत करने वालों को ठीक मान लिया। ईसा मसीह को फाँसी की सजा दे दी गई। फांसी के फंदे पर झूलते हुए उन्होंने कहा- ‘भगवान, ये अज्ञानी हैं। इन्हें यह ज्ञान नहीं कि वे क्या कर रहे हैं। इनकी बुद्धि को सुधार और इनके अपराधों का क्षमा करें।’
ईसा मसीह आज संसार में नहीं हैं, किन्तु उनका नाम अमर है। संसार के सब ईसाई उन्हें याद करते हैं। उनके उपदेशों से लाभ उठाते हैं। 25 दिसम्बर का पर्व उनकी याद में ही मनाया जाता है।
उत्सव मनाने की विधि- 25 दिसम्बर को ईसाई लोग बड़े उत्साह और धूम धाम से मनाते हैं। वे गिरजा घरों में जाते हैं। वहाँ ये प्रभु ईसा की पूजा करते हैं। वे इस दिन की तैयारी कई दिन पहले से करनी शुरू कर देते हैं। नए-नए कपड़े सिलवाते हैं। एक दूसरे को कई प्रकार के उपहार देते हैं। वे मिठाइयां खाते हैं और एक दूसरे को देते हैं। घरों में क्रिसमस पेड़ लगाते हैं। उनपर कई प्रकार के उपहार लगाते हैं। बच्चे उन उपहारों को लेकर बहुत खुश होते हैं।
उपसंहार- ईसा मसीह ने जीवन भर लोगों को परस्पर प्रेम करने, दूसरों के साथ दयापूर्वक व्यवहार करने और मानव सेवा की शिक्षा दी। उनके उपदेशों पर चलने से समाज की कई बुराइयाँ दूर हो सकती हैं। हमें भी उनके उपदेशों का प्रचार करना चाहिए। उनके उपदेशों पर चलने से आपस में प्रेम भाव बढ़ेगा और घृणा दूर होगी। इससे आपस में सहनशीलता बढ़ेगी। समाज में सुख और शक्ति फैलेगी। आइए, ईसा मसीह के उपदेशों को जीवन में उतारें।