दोस्तों क्रिसमस का त्यौहार इसाई धर्म के लोगों का प्रमुख त्यौहार है. इस दिन हर धर्म के लोग एक दुसरे को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं तथा ख़ुशी ख़ुशी इस पर्व को मनाते हैं.
हिंदीवार्ता पर हमने सभी वर्ग के बच्चों के लिए क्रिसमस के पर्व पर संक्षेप तथा विस्तार में निबंध प्रस्तुत किया है. लघु निबंध को कक्षा 1,2,3 के बच्चे प्रयोग कर सकते हैं जबकि दीर्घ निबंध को कक्षा 4,5,6,7 के बच्चे प्रयोग में ला सकते हैं.
लघु निबंध 1- 100 शब्दों में
बेहद सरल शब्दों में लघु निबंध
क्रिसमस का त्यौहार हर साल 25 दिसंबर के दिन पूरे विश्व में मनाया जाता है.
यह इसाई धर्म के लोगों का प्रमुख त्यौहार है जिस बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन सभी लोग सांस्कृतिक अवकाश का लुत्फ़ उठाते हैं.
25 दिसंबर का दिन प्रभु इसा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
क्रिसमस के दिन को लोग ढेर सारी तैयारियां तथा सजावट के साथ बिताते हैं.
क्रिसमस पर लघु निबंध -2
क्रिसमस अर्थात् बड़ा दिन ईसाइयों का प्रमूख त्यौहार है, यह दिन ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को सारे संसार में मनाया जाता है| इस दिन का महत्त्व पैगम्बर ईसा के स्लीब पर लटकाए जाने के बाद फिर से जीवित होने की ख़ुशी है | इस दिन ईसाइयों के घरो में क्रिसमस पेड़ सजाया जाता है |
क्रिसमस पेड़ो पर फूल, गुब्बारे, खिलौने आदि बाँधे जाते है तथा इसके नीचे उपहार भी लपेट कर रखे जाते है, बच्चो के सिरहाने मिठाइयाँ, टॉफियाँ आदि भी छिपाकर रखी जाती है यह त्यौहार प्रेम ,भाई-चारे तथा मित्रता का संदेश देता है|
इस दिन गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाएँ होती है | यह त्यौहार मुख्य रूप से रात के समय मनाया जाता है | ईसाई धर्म को मानने वाले स्त्री-पुरूष ,बाल-वर्द्ध,युवक-युवतियाँ इस दिन विशेष वस्त्र धारण करते है |
ईसा मसीह ने गरीबों तथा दीन-दुखियों से प्रेम करने और उनकी सेवा करने का पाठ पढ़ाया | अतः हमे चाहिए कि हम उनके उपदेशों का पालन करे!
क्रिसमस का पर्व- लघु निबंध 3
क्रिसमस का त्योहार विश्व के महान त्योहारों में से एक है। क्रिसमस का त्योहार न केवल ईसाइयों का त्योहार है, अपितु मानव जाति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सभी त्योहार किसी न किसी महापुरूष की जीवन घटनाओं से सम्बन्धित हैं। क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के जन्म दिवस से सम्बन्धित है। इसे इस शुभावसर पर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
क्रिसमस का त्योहार मुख्य रूप से ईसाई धर्म के अनुयायियों और उसके समर्थकों के द्वारा मनाए जाने के कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार विश्व का सबसे बड़ा त्योहार है, क्योंकि ईसाई धर्म की विशालता और उससे प्रभावित अन्य धार्मिक मानस वाले व्यक्ति भी इस त्योहार को मनाने में अपनी खुशियों और उमंगों को बार बार प्रस्तुत करते हैं। क्रिसमस का त्योहार इसी लिए सम्पूर्ण विश्व में बड़ी ही लगन और तत्परता के साथ प्रति वर्ष सर्वत्र मनाया जाता है।
250 शब्दों में निबंध
हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार पूरे विश्व भर में मनाया जाता है. जिसे हम सब बड़ा दिन के नाम से भी जानते हैं. क्रिसमस इसाई धर्म के लोगों का प्रमुख पर्व है. यह उनके प्रभु इशु का जन्मदिवस भी है. इसलिए प्रभु इशु को श्रद्धांजली एवं सम्मान देने के लिए मनाया जाता है.
क्रिसमस की तैयारियां हर साल दिसंबर माह के पहले सप्ताह से ही शुरू हो जाती हैं. लोग अलग अलग प्रकार के पुष्पों, झालरों तथा लाइटों से अपने घरों को सजाते हैं. इस दिन लोग एक दुसरे को उपहार देते हैं. बड़े बच्चों के लिए उपहार लाते हैं. तथा घरों के आगे क्रिसमस के पेड़ (क्रिसमस ट्री) लगाया जाता है जिसके आस पास सभी लोग इकट्ठे होते हैं और क्रिसमस का त्यौहार मनाते हैं.
असल में क्रिसमस की शुरुआत 12 दिन पहले ही शुरू हो जाती है और इस बारह दिन के उत्सव को क्रिसमसटाइड कहा जाता है. गलियों मुहल्लों को रौशनी से सजाया जाता है. क्रिसमस का पेड़ भी बेहद महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ साथ कई लोग क्रिसमस के दिन बर्फ की मूरत भी सजाते हैं.
क्रिसमस के दिन मशहूर सांता क्लॉस बच्चों के लिए उपहार लाते हैं. संता एक पौराणिक पात्र हैं जिनकी कहानियाँ बच्चों में मशहूर हैं.
क्रिसमस के त्यौहार का आनंद देश विदेश में सभी लोग एक दुसरे के साथ हर्षोल्लास से मनाते हैं.
क्रिसमस पर दीर्घ निबंध (500 शब्दों में)
ईसा का जन्म काल-ईसा का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। उनकी माता का नाम मरिया था। ईसा के जन्म के काल में लोगों में अंधविश्वास फैला हुआ था। वे अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। आतंक का साम्राज्य था शासक अत्याचार कर रहे थे।
ईसा मसीह ने बड़ा होने पर यह देखा कि लोग आपस में लड़ झगड़ रहे हैं। उन में सहनशीलता नहीं है। वे एक दूसरे की सहायता नहीं करते।
ईसा के उपदेश- ईसा मसीह ने लोगों को भाईचारे का संदेश दिया।उन्होंने लोगों को समझाया और बताया कि ईश्वर एक है। हम सब उसकी सन्तान हैं। हम सब यदि प्रेम से रहेंगे तो वह हम सब पर प्रसन्न होगा। मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। उन्होंने लोगों को सहनशील बनने के लिए कहा। छोटी छोटी बातों के लिए आपस में लड़ना ठीक नहीं।
उपदेशों का प्रभाव- ईसा के उपदेशों का लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ा लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानने लगे। उनकी पूजा होने लगी। यह धर्म के ठेकेदारों को अच्छा नहीं लगा। वे उनसे जलने लगे। उन्होंने शासकों से उनकी शिकायत की। शासकों ने उनकी शिकायत करने वालों को ठीक मान लिया। ईसा मसीह को फाँसी की सजा दे दी गई। फांसी के फंदे पर झूलते हुए उन्होंने कहा- ‘भगवान, ये अज्ञानी हैं। इन्हें यह ज्ञान नहीं कि वे क्या कर रहे हैं। इनकी बुद्धि को सुधार और इनके अपराधों का क्षमा करें।’
ईसा मसीह आज संसार में नहीं हैं, किन्तु उनका नाम अमर है। संसार के सब ईसाई उन्हें याद करते हैं। उनके उपदेशों से लाभ उठाते हैं। 25 दिसम्बर का पर्व उनकी याद में ही मनाया जाता है।
उत्सव मनाने की विधि- 25 दिसम्बर को ईसाई लोग बड़े उत्साह और धूम धाम से मनाते हैं। वे गिरजा घरों में जाते हैं। वहाँ ये प्रभु ईसा की पूजा करते हैं। वे इस दिन की तैयारी कई दिन पहले से करनी शुरू कर देते हैं। नए-नए कपड़े सिलवाते हैं। एक दूसरे को कई प्रकार के उपहार देते हैं। वे मिठाइयां खाते हैं और एक दूसरे को देते हैं। घरों में क्रिसमस पेड़ लगाते हैं। उनपर कई प्रकार के उपहार लगाते हैं। बच्चे उन उपहारों को लेकर बहुत खुश होते हैं।
उपसंहार- ईसा मसीह ने जीवन भर लोगों को परस्पर प्रेम करने, दूसरों के साथ दयापूर्वक व्यवहार करने और मानव सेवा की शिक्षा दी। उनके उपदेशों पर चलने से समाज की कई बुराइयाँ दूर हो सकती हैं। हमें भी उनके उपदेशों का प्रचार करना चाहिए। उनके उपदेशों पर चलने से आपस में प्रेम भाव बढ़ेगा और घृणा दूर होगी। इससे आपस में सहनशीलता बढ़ेगी। समाज में सुख और शक्ति फैलेगी। आइए, ईसा मसीह के उपदेशों को जीवन में उतारें।
क्रिसमस पर दीर्घ निबंध -2
क्रिसमस का त्योहार प्रति वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। आने वाले 25 दिसम्बर की प्रति वर्ष बड़ी उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा की जाती है। इसी दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था, जो ईसवीं सन् के आरम्भ का प्रतीक और द्योतक है। इस संसार में महाप्रभु ईसा मसीह के इस जन्म दिन की बड़ी पवित्रता और आस्थापूर्वक मनाया जाता है। इस दिन ही श्रद्धालु और विश्वस्त भक्त जन ईसा मसीह के पुनर्जन्म की शुभकामना किया करते हैं। उनकी याद में विभिन्न स्थानों पर प्रार्थनाएँ और मूक भावनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
कहा जाता है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसम्बर की रात को बारह बजे बेथलेहम शहर में एक गौशाला में हुआ था। माँ ने एक साधारण कपड़े में लपेट कर इन्हें धरती पर लिटा दिया था। स्वर्ग के दूतों से संदेश पाकर धीरे धीरे लोगों ने इनके विषय में जान लिया था। धीरे धीरे लोगों ने ईसा मसीह को एक महान आत्मा के रूप में स्वीकार कर लिया।
ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर मुक्ति प्रदान करने वाले के रूप में अपना दूत बनाकर भेज दिया था। जिसे ईसा मसीह ने पूर्णतः सत्य सिद्ध कर दिया। इनके विषय में यह भी विश्वासपूर्वक कहा जाता है कि आज बहुत साल पहले दाउद के वंश में मरियम नाम की कुमारी कन्या थी, जिससे ईसा मसीह का जन्म हुआ।
जन्म के समय ईसा मसीह का नाम एमानुएल रखा गया। एमानुएल का अर्थ है – मुक्ति प्रदान करने वाला। इसीलिए ईश्वर ने इन्हें संसार में भेजा था।
ईसा मसीह सत्य, अहिंसा और मनुष्यत के सच्चे संस्थापक और प्रतीक थे। इनके सामान्य और साधारण जीवनाचरण को देखकर हम यही कह सकते हैं कि ये सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीकात्मक और संस्थापक महामना थे। ईसा मसीह ने भेड़ बकरियों को चराते हुए अपने समय के अंधविश्वासों और रूढि़यों के प्रति विरोधी स्वर को फूंक दिया था।
इसीलिए इनकी जीवन दशाओं से क्षुब्ध होकर कुछ लोगों ने इनका कड़ा विरोध भी किया था। इनके विरोधियों का दल एक और था तो दूसरी ओर इनसे प्रभावित इनके समर्थकों का भी दल था। इसलिए ईसा मसीह का प्रभाव और रंग दिनोंदिन जमता ही जा रहा था। उस समय के अज्ञानी और अमानवता के प्रतीक यहूदी लोग इनसे घबरा उठे थे और उनको मूर्ख और अज्ञानी समझते हुए उन्हें देखकर जलते भी थे। उन्होंने ईसा मसीह का विरोध करना शुरू कर दिया।
यहूदी लोग अत्यन्त क्रूर स्वभाव के थे। उन्होंने ईसा मसीह को जान से मार डालने का उपाय सोचना शुरू कर दिया। इनके विरोध करने पर ईसा मसीह उत्तर दिया करते थे- ‘तुम मुझे मार डालोगे और मैं तीसरे दिन फिर जी उठूंगा।’ प्रधान न्याय कर्त्ता विलातुस ने शुक्रवार के दिन ईसा को शूली पर लटकाने का आदेश दे दिया। इसलिए शुक्रवार के दिन को लोग गुड फ्राइडे कहते हैं। ईस्टर शोक का पर्व है, जो मार्च या अप्रैल के मध्य में पड़ता है।
ईसा मसीह की याद में क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाना चाहिए यह मनुष्यता का प्रेरक और संदेशवाहक है। इसलिए हमें इस त्योहार को श्रद्धा और उमंग के साथ अवश्य मनाना चाहिए।