किसी गधे को सिंह की खाल मिल गई। उसने सोचा- ‘अगर मैं इस खाल को ओढ़ लूं तो मजा आ जाएगा। जंगल के सभी जानवर मुझे सिंह समझकर डर जाएंगे।’
बस, फिर क्या था। गधे ने सिंह की खाल ओढ़ ली और लगा जंगल में दौड़ने। जंगल के जानवर डरकर इधर-उधर भागने लगे।
वे इस नए फुर्तीले सिंह से बेहद डर गए थे। भागने वाले जानवरों में चालाक लोमड़ी भी थी। उसे भी असलियत का पता नहीं था। चालाक और धूर्त लोमड़ी भी गधे को नहीं पहचान सकी। यह देखकर गधा प्रसन्न हो गया। उसका मन अहंकार से भर गया। अपनी प्रसन्नता दिखाने के लिए वह लगा जोर-जोर से रेंकने। सिंह को गधे की तरह रेंकता देखकर लोमड़ी आश्चर्यचकित रह गई। वह गधे के पास आई।
गधा लोमड़ी को देखकर कहने लगा- ”क्या तुम मुझसे डरती नहीं हो?“
”जब तुम्हें पहली बार देखा तो मैं डर गई थी।“ लोमड़ी बोली- ”मगर जैसे ही तुम्हारी आवाज सुनी, मैं समझ गई कि तुम गधे हो।“
शिक्षा – वस्त्र नहीं स्वभाव को बदलो।