एक सिंह भूख से तड़प रहा था। कई दिनों से उसे भोजन नहीं मिला था।
जब वह शिकार की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था, तभी उसे एक ऊंची चट्टान पर एक बकरी खड़ी दिखाई दी। बकरी देखकर सिंह के मुंह में पानी भर आया। मगर चट्टान पर चढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं थी। अतः उसने तरकीब से काम लेना ही मुनासिब समझा।
”नमस्ते! बकरी जी।“ सिंह बड़े प्यार से बोला- ”क्या तुम्हें भूख नहीं लगी है?“
”मैं तो हमेशा भूखी रहती हूं।“ बकरी बोली।
”तो फिर तुम यहां नीचे क्यों नहीं आ जाती?“ सिंह बड़ी चतुराई से बोला- ”यहां की घास तो बहुत मुलायम और स्वार भरी है।“
”यह जानकर मुझे प्रसन्नता हुई महाराज कि आपके आस-पास की घास बहुत स्वादिष्ट है।“ बकरी ने उत्तर दिया- ”मैं आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे आमंत्रित किया, परंतु मेरी विवशता यह है कि मैं आपको यह अवसर नहीं देना चाहती कि आप मुझे ही खा जाएं। नमस्ते!“
शिक्षा – शत्रु की बात का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए।