एक बार कुछ शिकारियों ने जब एक बकरे का पीछा किया तो वह दौड़ कर अंगूर के बाग में घुस गया और वहां एक घनी बेल के पीछे छिप गया। चूंकि शिकारी उसे खोज नहीं पाए, इसलिए वे वापस लौट गए। बकरे ने जब देखा कि शिकारी वापस चले गए हैं तो वह वृक्ष के नीचे से निकल आया और पेड़ की पत्तियां खाने लगा। कुछ ही देर में हरा-भरा पेड़ बरबाद हो गया।
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शिकारी अधिक दूर तक नहीं गए थे। उन्होनें पत्तियों की सरसराहट सुन ली। घूम कर देखा तो बेलों में हलचल हो रही थी। वे दोबारा बकरे को खोजने में लिए वापस आए। उन्होंने जल्दी ही बकरे को खोज लिया और उसे पकड़ कर ले गए।
बकरे के लिए यही दंड काफी था। बकरे ने स्वयं उसी पेड़ को नष्ट किया था, जिसने उसकी रक्षा की थी।
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निष्कर्ष- अपने संरक्षक को कभी हानि मत पहुंचाओ।
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