Shadi ke bad ladkiyon ko bindi kyon lagani chahiye?
बिंदी लड़कियों को सोलह श्रृंगार में से एक माना गया है। बिंदी किसी भी लड़की की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। लड़कियाँ इसका उपयोग सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से करती हैं और विवाहित महिलाओं के लिए यह सुहाग की निशानी मानी जाती है। हिंदू धर्म में शादी के बाद हर स्त्री को माथे पर लाल बिंदी लगाना आवश्यक माना गया है।
बिंदी का संबंध हमारे मन से भी जुड़ा हुआ है। योगशास्त्र के अनुसार जहां बिंदी लगाई जाती है, वहीं आज्ञा चक्र स्थित होता है। यह चक्र हमारे मन को नियंत्रित करता है। हम जब भी ध्यान लगाते हैं, तब हमारा ध्यान यहीं केंद्रित होता है। यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना गया है। मन को एकाग्र करने के लिए इसी चक्र पर दबाव दिया जाता है।
लड़कियां बिंदी इसी स्थान पर लगाती हैं। बिंदी लगाने की परंपरा आज्ञा चक्र पर दबाव बनाने के लिए प्रारंभ की गई ताकि मन एकाग्र रहे। महिलाओं का मन अति चंचल होता है, अतः उनके मन को नियंत्रित और स्थिर रखने के लिए यह बिंदी बहुत कारगर उपाय है। इससे उनका मन शांति और एकाग्रचित रहता है।
स्त्रियां एक समय पर एक ही साथ कई विषयों पर मंथन करती रहती हैं. अत: उनके मन को नियंत्रित और स्थिर रखने के लिए बिंदी बहुत प्रभावोत्पादक साबित होती है. इससे उनका मन शांत और एकाग्र बना रहता है. शायद इन्हीं फायदों को देखते हुए प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा बिंदी लगाने की अनिवार्य परंपरा प्रारंभ की गई थी.
बिंदी हमेशा लाभकारी
बिंदी को आयुर्वेद से लेकर एक्यूप्रेशर तक में विशेषता दी गई है और इसे महिलाओं की सेहत से जुड़ी कई समस्याओं के उपचार में मददगार भी माना गया है. बिंदी लगाने को सिर्फ वेश-भूषा का अंग मानना काफी नहीं. बिंदी लगाना आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से शुरू हुआ और सिर्फ भारत में नहीं विश्व भर में इसे अपनाया जा रहा है.
मानसिक शांति के लिए बिंदी
आयुर्वेद में बिंदी लगाने वाले स्थान को न सिर्फ मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण माना गया है बल्कि यह घोर श्रम दूर करने और अच्छी नींद के लिए भी जरूरी है. शिरोधरा विधि से इस बिंदु पर दबाव बनाकर अनिद्रा की समस्या दूर की जा सकती है. बिंदी लगाने की सही जगह दोनों भौंहों के मध्य का बिंदु है जिसे आयुर्वेद में शरीर का सबसे महत्वपूर्ण चक्र – अजना चक्र कहा गया है। आयुर्वेद में इस चक्र पर हल्के दबाव के जरिए मानसिक शांति और घबराहट के उपचार में मददगार हो सकता है।
आँखों के लिए जरुरी बिंदी
माथे का मध्य भाग जहां बिंदी लगाते हैं सुप्राट्रोक्लियर नर्व से संबंधित है जिसमें आंखों और त्वचा के लिए जरूरी फाइबर मौजूद हैं. यह आंखों को अलग-अलग दिशाओं में देखने में काफी मददगार है. बिंदी लगाने वाले स्थान के पास से कान से संबंधित नस भी गुजरती है जिस पर दबाव बनाने से सुनने की क्षमता बढ़ती है. कई बार देखा गया है कि बिंदी लगाने वालों की तबीयत भी कम ख़राब होती है तथा सहनशीलता भी बढ़ती है.
झुर्रियां दूर भगाए
एक्यूप्रेशर विधि में बिंदी के प्वाइंट का महत्व त्वचा को टाइट रखने और झुर्रियां दूर करने के लिए भी माना जाता है। इस पर दबाव से रक्त संचार तेज होता है और त्वचा लंबे समय तक टाइट रहती है जिससे झुर्रियां नहीं पड़ती हैं।
सुनने की क्षमता बढ़ाती है
बिंदी लगाने वाले स्थान के पास से कान से संबंधित नस भी गुजरती है जिससे पर दबाव बनाने से सुनने की क्षमता बढ़ती है।