1- सलमान खान को निचली अदालत द्वारा दोषी माना गया था और सजा सुनाई गई थी। आखिर कोई अदालत किसी फेसबुक पेज पे चल रही कॉमेंट-लाइक-पोस्ट की सीरीज नहीं होती जहां हर कोई अपनी पसंद से अपनी राय जाहिर कर सकता है। उस अदालत में भी सबूत पेश किये गए थे और जिरह हुई थी जिसके आधार पर जज ने अपने फैसले में सलमान खान को दोषी करार दिया था।
अब इतने दिनों में उच्च न्यायालय द्वारा एकदम से बरी हो जाने के लिए लगभग उन्हीं सबूतों को नाकाफी मानते हुए सलमान खान को बरी करने का फैसला एक तरह से निचली अदालत के कानूनी जानकारी और कॉम्पिटेंस पे भी एक फैसले की तरह है। इस फैसले ने कानूनी सिस्टम पर भी सवाल खड़े किये हैं।
2- आखिर कौन सा कारण था कि वह कांस्टेबल जो एक्सीडेंट के चंद मिनटों पहले तक सलमान खान के बॉडी-गॉर्ड के तौर पर उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित था और उन्हें गाडी धीरे चलाने की सलाह भी दे रहा था वही एक्सीडेंट के बाद सलमान खान के खिलाफ मुख्य गवाह बना। कभी ऐसी कोई कांस्पिरेसी थ्योरी तो सामने नहीं आई कि वह कांस्टेबल सिर्फ इसलिए सलमान खान की सुरक्षा में लगाया गया था कि सलमान खान की गाडी से कोई एक्सीडेंट हो, एक-आध आदमी की मौत हो और सलमान खान गाडी ना चला रहे हों फिर भी वह कांस्टेबल जा कर सलमान खान के खिलाफ गैर इरादतन ह्त्या की रपट लिखा दे !! ऐसा सोचना जितना बचकाना लगता है उतना ही बचकाना सलमान खान का इस फैसले से बरी हो कर निकल आना भी लगता है। स्पष्ट है कि वह कांस्टेबल सिवाय अपनी अंतरात्मा की आवाज के और किसी कारण से सलमान खान के खिलाफ गवाही नहीं दे रहा था।
3- सलमान खान का “बजरंगी भाईजान” जैसी फिल्म करना, उसमें हनुमान का रोल करना, फिल्म में उनका पाकिस्तान के खिलाफ मुखर रोल करना और इसे लेकर कोई कंट्रोवर्सी न खड़ा होना शायद यह बताता है कि यह फिल्म बड़ी सियासी ताकतों को खुश करने और उनकी गुड बुक में आने के लिए की गई थी। इस फिल्म की टाइमिंग सवाल खड़े करती है।
4- फिल्म इंडस्ट्री में सलमान खान जैसे कमाउ हीरो पे करोड़ों अरबों दांव पर लगे हैं। ऐसे में चार-पांच साल के लिए उनका जेल चले जाना बॉलीवुड के लिए बड़ा धक्का होता। ऐसे माहौल में एक तुच्छ फूटपाथिये का गलती से कुचले जाना (गलती किसकी, पता नहीं?) ज्यादा जरुरी हैं या फिल्म उद्योग के सबसे फेवरिट हीरो का जेल से बचे रह कर फिल्में करते चले जाना ज्यादा जरुरी है? आप ही फैसला कीजिये।
सलमान खान अदालत द्वारा निर्दोष भले ही करार दे दिए गए हैं पर जनता की नजर में ये फैसला हमेशा शक के घेरे में रहेगा।