सलाह देने से पहले अपनी सुरक्षा – शिक्षाप्रद कहानी Shikshaprad kahani
एक बार एक उकाब ने एक खरगोश का पीछा किया। खरगोश आड़ा-तिरछा दौड़ता हुआ किसी प्रकार घनी झाडि़यों में पहुंच कर दुबक गया। उसकी जान बच गई। उसका दिल अभी तक धड़क रहा था। वह अभी संभल ही रहा था कि तभी उसने एक गौरेया को कहते सुना-”हे खरगोश! इतना भयभीत क्यों होते हो? उकाब से इतना घबराने की क्या जरूरत है! मुझे देखो, मैं कितनी छोटी हूं फिर भी उकाब से नहीं डरती। तुम इतने बड़े होकर भी उकाब से डरते हो। बड़े शर्म की बात है।“
उकाब अभी भी खरगोश को तलाश कर रहा था। चूंकि खरगोश झाडि़यों के बीच छुपा हुआ था। इसलिए वह उसे नहीं देख पा रहा था। मगर उसने गौरेया को डाल पर बैठे और चहचहाते देख लिया था। गौरेया अभी बढ़-चढ़कर बातें कर ही रही थी कि उकाब उस पर किसी आंधी की तरह झपटा और उसे अपने मजबूत चंगुल में दबाकर उड़ गया।
‘मूर्ख! मुझे सलाह दे रही थी, अपनी चिन्ता नहीं थी।’ खरगोश ने सोचा और किसी सुरक्षित स्थान की ओर दौड़ पड़ा।
निष्कर्ष-अपनी सुरक्षा न करके दूसरों को सलाह देने वाले यूं ही मरते हैं।