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Rahim ke dohe रहिमन निज मन की बिथा, मनही राखो गोय।

Rahim ke dohe in Hindi:

रहिमन निज मन की बिथा, मनही राखो गोय।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बांटि न लेहैं कोय।।

Rahiman nij man kee bitha, man hi rakho goy,
Suni athilainhe log sab, baanti na lehain koy

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रहीम के दोहे का अर्थ:

यह सच है कि क्या मित्र वही होता है, जो दुख दर्द में काम आता है। यह भी कहा जाता है कि अपने दुख दर्द बांटने से उसकी पीड़ा कम हो जाती है। पर अपना कौन है, किसे दोस्त माना जाए, इसकी क्या कसौटी है। प्रायः ऐसा होता है कि लोग दूसरों को अपना दुख दर्द सुनाते हैं, लेकिन सुनने वाले सामने तो सहानुभूति का प्रदर्शन करते हैं, किंतु पीठ पीछे उसका परिहास करते हैं।

ऐसी स्थिति को देखते हुए रहीम कहते हैं, मन में चाहे कितनी ही पीड़ा क्यों न हो, उसे किसी को सुनाने की आवश्यकता नहीं। बेहतर यही है कि मन की व्यथा मन में ही छिपाकर रखो। सुनाने को कोई लाभ नहीं होगा। अगर किसी को अपनी व्यथा सुनाएंगे भी तो पीठ पीछे वह आपका मजाक उड़ाएंगे। इनमें से कोई भी ऐसा नहीं है, जो पीड़ा को बांटने वाला हो। धैर्यमना होकर पीड़ा को सहने की शक्ति अर्जित करो।

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Rahim ke dohe रहीम के 25 प्रसिद्ध दोहे अर्थ व्याख्या सहित

25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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