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पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन का खुलासा, नोटबंदी के नुकसान के बारे में सरकार को चेता दिया था

पूर्व आर बी आई गवर्नर रघुराम राजन ने खुलासा किया है कि वह विमुद्रीकरण (नोटबंदी, demonetization) के पक्ष में नहीं थे. उनके अनुसार नोटबंदी के दीर्घकालीन फायदों के मुकाबले अर्थव्यवस्था को तात्कालिक नुक्सान कहीं ज्यादा होने वाला था.

Raghuram Rajan slams Modi Govt on Demonetisationराजन का यह खुलासा उनकी नई किताब “आई डू व्हाट आई डू” में सामने आया है. यह किताब आर बी आई गवर्नर रहने के दौरान उनके भाषणों का संकलन है. यह किताब राजन के कार्यकाल के नीतिगत फैसलों और योजनाओं पर रोशनी डालती है.

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किताब में राजन लिखते हैं – “मेरे कार्यकाल के दौरान आरबीआई की रे विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के लिए कभी नहीं मांगी गयी.” इस से यह स्पष्ट होता है कि सरकार का यह दावा कि demonetization के लिए महीनों तक तैयारियां की गयी थी, झूठा था और विमुद्रीकरण एक जल्दबाज़ी में लिया गया अदूरदर्शी फैसला था.

राजन अभी यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में पढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने पहले कुछ इसलिए नहीं कहा क्यूंकि वे अपने उत्तराधिकारी के शुरूआती दिनों में कामकाज को प्रभावित नहीं करना चाहते थे .

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राजन ने कहा कि उनके कार्यकाल के समय आर बी आई ने नोटबंदी के फायदों और नुक्सान को लेकर सरकार को एक नोट भेजा था. इस नोट में नोटबंदी के अलावा अन्य विकल्पों का भी उल्लेख था जिनकी मदद से काला धन पकड़ने, नकली नोट का चलन रोकने और आतंकवाद की सीमा पर से फंडिंग रोकने जैसे सरकार के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता था.

“इस नोट में स्पष्ट उल्लेख था कि अगर सरकार विमुद्रीकरण के नफे-नुकसान का आंकलन करने के बाद नोटबंदी का फैसला लेती तो उसके लिए क्या तैयारियां जरुरी थीं. आरबीआई ने सरकार को इस बारे में भी चेताया था कि अगर बिना पूरी तैयारी के विमुद्रीकरण की गयी तो इसका क्या दुष्परिणाम होगा.

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सरकार ने विमुद्रीकरण का फैसला लेने से पहले एक समिति का गठन किया था जिसमें आरबीआई का प्रतिनिधित्व डिप्टी गवर्नर ने किया था. स्पष्ट रूप से रघुराम राजन इस समिति का हिस्सा नहीं थे जिसने नोटबंदी करने का फैसला लिया था और उन्होंने इन मीटिंग्स में भी हिस्सा नहीं लिया.

राजन ने उस नोट में क्या लिखा था, इसका खुलासा नहीं किया है.

अभी हाल ही में आरबीआई की एक रिपोर्ट, जिसमें कहा गया है कि विमुद्रीकरण कालाधन और नकली नोट पकड़ने का अपना उद्देश्य पूर्ण करने में असफल रही, के सामने आने के बाद से मोदी सरकार पर विपक्ष का हमला तेज हो गया है. ऐसे में रघुराम राजन का यह खुलासा उसकी मुश्किलें बढ़ा देगा.

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