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राम-भजन जाके नहीं, जाति विपति ता पासराम-भजन जाके, नहीं जाति में कौनसा अलंकार है?

राम-भजन जाके नहीं, जाति विपति ता पासराम-भजन जाके, नहीं जाति में कौनसा अलंकार है?

प्रश्न – राम-भजन जाके नहीं, जाति विपति ता पासराम-भजन जाके, नहीं जाति विपति ता पास में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।

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उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि इसमें पदों की आवृत्ति हुई है। पदों की आवृत्ति के कारण कविता सुंदर बन गई है।

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का कौन सा भेद हैं?

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इस पंक्ति में शब्दों की आवृत्ति हुई है इसलिए लाटानुप्रास है। जब काव्य में किसी शब्द की आवृत्ति हो लेकिन अर्थ में अन्विति हो तो वहाँ लाटानुप्रास होता है। इस पंक्ति में राम भजन, जाके नहीं,जाति विपत्ति इत्यादि की आवृत्ति हुई है।

जैसा कि आपने इस उदाहरण में देखा जहां पर किसी वर्ण के विशेष प्रयोग से पंक्ति में सुंदरता, लय तथा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है उसे हम शब्दालंकार कहते हैं।

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अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

राम-भजन जाके नहीं, जाति विपति ता पासराम-भजन जाके, नहीं जाति विपति ता पास में अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।

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