बहुत दिनों की बात है। दिल्ली में एक राजा राज्य करता था। उसके तीन बेटे थे और एक राजकुमारी थी।
राजा के महल के पास ही एक बड़ा सा बाग था। उस बाग में तरह तरह के पेड़ थे। कुछ पेड़ फलों के थे। कुछ पेड़ रंग बिरंगे फूलों के थे। उन पेड़ों पर सुबह से ही तरह तरह की चिड़ियां आने लगती थी। चिड़ियों के चहचहाने और हल्की हवा चलने से बड़ा अच्छा लगता था। उस बाग में कुछ खरगोश, मोर, तोता, कबतूर आदि भी पले थे। बाग के बगल में, एक छोटी सी झील राजा के महल के सामने से बहती थी। झील में सफेद बत्तख तैरती रहती थी।
तीनों राजकुमार धीरे धीरे बड़े होने लगे।
उन तीनों राजकुमारों को धन दौलत, रूपया, पैसा, सोना चांदी से प्यार था। जबकि राजकुमारी दिन दिन भर उसी बाग में रहती थी और यही चाहती थी कि हरे हरे पेड़ ठंडी ठंडी हवा चलाकर हमेशा सबको खुश रखें।
राजा के तीनों राजकुमार यह नहीं पंसद करते थे कि राजकुमारी महल छोड़कर बाग में घूमा करे। उन राजकुमारों ने जब यह शिकायत राजा से की तो राजकुमारी बोली, ”मैं पेड़ पौधों और फलों को अपनी जान से ज्यादा समझती हूं।“
इस पर एक राजकुमार ने कहा, ”इसे फूलों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। यह फूलों और पेड़ों की देखभाल के बहाने सिर्फ घूमना फिरना चाहती है।“
राजा ने सोचा कि मुझे अपने बच्चों का इम्तिहान लेना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि कौन ज्यादा अक्लमंद है? यह सोच राजा ने बहुत सारे रंग बिरंगे कृत्रिम फूल बनवाए और उन फूलों के बीच बीच में कुछ असली फूल भी लगवा दिए। एक एक राजकुमार को अपने पास बुलाकर उन्होंने कहा, ”पहचानो, इसमें कौन असली फूल हैं और कौन बनावटी?“
सभी राजकुमारों ने बनावटी फूलों को असली बताया, इस पर राजा को बहुत दुख हुआ।
राजकुमारों ने आपस में बात की, ‘हमारे पिताजी पहले से ही राजकुमारी को हमसे ज्यादा चाहते हैं। अब तो यह उसे और चाहेंगे और उसकी बात और मानेंगे। क्यों न राजकुमारी से भी असली और बनावटी फूलों की जांच कराई जाए।’
तीनों राजकुमारों ने अपना प्रस्ताव राजा के पास रखा और राजा ने तुरंत राजकुमारी को बाग में बुलवाया और कहा, ”बेटी, तुम दिन दिन भर बाग में रंग बिरंगे फूलों के बीच रहती हो। जरा बताओ, इन फूलों में असली फूल कौन से हैं?“
बाग से आते वक्त एक तितली राजकुमारी के कपड़ों पर बैठकर चली आई थी। देखते ही देखते वह तितली असली फूलों पर बैठ गई। राजकुमारी बोली, ”पिताजी, पता चल गया न कि असली फूल कौन से हैं। मैं क्या, जानवर, पशु पक्षी, तितली सभी फूलों से प्यार करते हैं- मैं तो फिर एक इंसान हूं।“
राजकुमारों ने आपस में सलाह की कि हमारे लिए अलग से एक महल होना चाहिए। जब उन्होंने राजा से कहा तो राजा तीन महल बनवाने के लिए तैयार हो गया। राजकुमारों ने यह जिद की कि महल बाग में ही बनना चाहिए, चाहे सारे पेड़ क्यों न काटने पड़ें।
देखते ही देखते सारे पेड़ काट दिए गए। बाग में रहने वाले पशु पक्षी इधर उधर हो गए। झील का पानी महल बनवाने में खत्म हो गया। अब न वह हरियाली रही, न रंग बिरंगे फूल। न हरे पेड़ रहे, न हवा। बाग की जगह महल खड़े थे।
पेड़ों के कटने से राजकुमारी को बहुत दुख हुआ। वह बीमार रहने लगी। देखते ही देखते वह पीली पड़ गई।
राजा ने बहुत इलाज कराया पर वह ठीक नहीं हुई। राजा ने यह घोषणा कर दी कि जो कोई भी राजकुमारी को ठीक कर देगा, उसे ढेर सारा इनाम मिलेगा।
यह बात एक गरीब किसान ने सुनी। वह दरबार में आया और बोला, ”महाराह, मैं राजकुमारी को ठीक कर दूंगा पर जैसा मैं कहूं, वैसा करना पड़ेगा।“
राजा किसान की बात मान गया, झील की जगह पर तरह तरह के पेड़ लगवाए। वह पेड़ रंग बिरंगे फूलों के थे।
राजकुमारी को ज्यों ही पता चला कि झील की जगह पेड़ लगाए जा रहे हैं वह धीरे धीरे कुछ खाने पीने लगी। राजा यह देखकर खुश हुआ। पेड़ों के बढ़ने के साथ साथ राजकुमारी अच्छी होती गई। जब राजकुमारी पूरी तरह ठीक हो गई तो राजा ने किसान को दरबार में बुलाकर ढेर सारा इनाम दिया और कहा, ”पेड़ पौधों से ज्यादा अच्छी इस दुनिया में कोई चीज नहीं है।“