दिल्ली/मुंबई: आज भारतीय सिनेमा को एक से बढ़ कर एक बेहतरीन फिल्में देने वाले मनोज “भारत” कुमार को भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा ४७ वें दादा साहेब फाल्के पुरूस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है। भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है।
मशहूर फिल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक मनोज कुमार को 47वें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने उनसे फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी। अपने प्रशंसकों को नायाब फिल्म देने वाले मनोज कुमार ने बतौर अभिनेता और निर्देशक पहले भी कई पुरस्कार जीते हैं। उनकी फिल्में ‘हरियाली और रास्ता, ‘वह कौन थी, ‘हिमालय की गोद में, ‘दो बदन, ‘उपकार, ‘पत्थर के सनम, ‘नील कमल, ‘पूरब और पश्चिम, ‘रोटी, कपड़ा और मकान एवं ‘क्रांति ने कामयाबी के तमाम झंडे गाड़े। इन फिल्मों में उन्होंने अविस्मरणीय अभिनय किया है।
मनोज कुमार को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई उनकी देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्मों के लिए। वह देशभक्ति पर आधारित फिल्मों में अभिनय एवं उनके निर्देशन के लिए जाने जाते हैं।
मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद (अभी पाकिस्तान में) जुलाई 1937 को हुआ था। विभाजन के बाद मनोज कुमार का परिवार 1947 में दिल्ली आ गया था। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से स्नातक करने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखने का फैसला लिया। वर्ष 1957 में फिल्म ‘फैशन से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले मनोज कुमार 1960 में ‘कांच की गुड़िया में प्रमुख भूमिका में नजर आए थे।
यहाँ से शुरू हुई मनोज कुमार की अभिनय यात्रा स्वर्णिम शिखरों को छूती गई और आज उनका नाम भारतीय सिनेमा के महानतम हस्ताक्षरों में लिया जाता है।
हालांकि इस बार महान पार्श्व गायक मुहम्मद रफ़ी को भी दादा साहेब फाल्के पुरूस्कार दिए जाने की चर्चा थी किन्तु अंततः मनोज कुमार को इस पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है। मुहम्मद रफ़ी के प्रशंसकों ने रफ़ी साहब के एक बार फिर इस पुरूस्कार से वंचित रह जाने पर निराशा व्यक्त की है।