रहीम के दोहे Dohe of Rahim in hindi
खीरा सिर ते काटिए, मलियत नमक बनाय।
रहिमन करूए मुखन को, चहिअत इहै सजाय।।
Kheera sir se katiye, maliyat namak banaay
Rahiman karuye mukhan ko, chahiyat ihai sajaay
अर्थात (Meaning in Hindi): मीठे बोलों का अपना महत्व है। मीठा बोलकर किसी का भी हदय पलक झपकते जीता जा सकता है। फिर भी लोग कटु वचन बोलने से कतराते नहीं और अपना ही अहित करते हुए उन्हें जरा भी दुख नहीं होता।
रहीम को कड़वा बोलने वाले पसंद नहीं है। वह कहते हैं, खीरे का सिर काटकर उस पर नमक मला जाता है, ताकि उसका कड़वापन नष्ट हो जाए। ऐसा न किया जाए तो खीरा खाने योग्य नहीं होता। रहीम का सुझाव है कि कटु बोलने वाले के मुंह को भी यही सजा दी जानी चाहिए। यानी जब तक वह मीठा न बोले, उसके मुंह में नमक भरते रहना चाहिए।
रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
खग मृग बसत अरोग बन, हरि अनाथ के नाथ।।
Rahiman bahu bheshaj karat, byaadhi na chhadant sath
Khag mrug basat arog ban, hari anaath ke nath
अर्थात (Meaning in Hindi): मनुष्य का सबसे बड़ा रोग है चिंता। विभ्रम, लालच, भय और माया की चिंता में मनुष्य सदैव उलझा होता है। ऐसी स्थिति में उसे न माया मिलती है और न राम। इसी चिंता में घुल कर वह ऐसा रोगी बन जाता है, जिसका कोई इलाज नहीं होता। बीमारी से मुक्त होने के लिए वह वैद्यों और डाक्टरों के चक्कर काटता है, महंगी औषधियों का सेवन करता है, किंतु स्वास्थ्य लाभ उससे कोसों दूर रहता है। स्वस्थ होकर जीवन व्यतीत करना स्वयं मनुष्य के वश में है। जैसे ही वह चिंताओं से मुक्त हो जायेगा, स्वास्थ्य उसका कभी साथ नहीं छोडेगा।
रहीम कहते हैं, मनुष्य कितनी औषधियों का सेवन करता है, किंतु व्याधियां कभी उसका साथ छोड़ने को तैयार नहीं होती। वह निश्चिंत होकर जीवन यापन करे, चिंताओं से मुक्त रहे और स्वयं को भगवान के भरोसे छोड़ दे, तब व्याधि उसके निकट भी नहीं फटकेगी। वनचरों को कभी औषधियों की आवश्यकता नहीं होती। पक्षी व मृग आदि अरोगी होकर वन में बसते हैं। अनाथों के नाथ भगवान होते हैं, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की चिंता नहीं सताती।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।
Rahiman dekh baden ko, kaghu na dijiye daari
Jahaan kam aave sui, kahaa kare talwari
अर्थात (Meaning in Hindi): 99 बड़ी इकाई है और 1 छोटी इकाई। किंतु छोटी इकाई होने के कारण 1 को महत्वहीन नहीं मानना चाहिए, क्योंकि 1 के अभाव में 99 कभी नहीं बन सकेगा। प्रायः लोग आकार देखकर महत्व का निर्धारण करते हैं, जबकि दीर्घ व लघु दोनों आकारों का अपना अपना महत्व है।
रहीम कहते हैं, बड़े को देखकर लघु को हाषिएक की ओर नहीं धकेलना चाहिए। दोनों का समान रूप से उपयोग है। सुई लघु है और तलवार दीर्घ। किंतु जहां सुई काम आ सकती है, वहां तलवार क्या कर सकती है।
रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
आपु अहै तो हरि नहीं, हरि तो आपुन नाहिं।।
Rahiman gali hai sankari, dujo na thahrahin
Aapu ahai to hari nahin, hari to aapun nahin
अर्थात (Meaning in Hindi): भक्ति की महिमा अपरम्पार है। यदि एकाग्रभाव से भक्ति की जाए तो अपना अस्तित्व मिट जाता है और व्यक्ति को चतुर्दिक केवल भगवान ही दृष्टिगोचर होता है। किंतु यदि भक्ति में एकाग्रता और परिपूर्णता नहीं है तो भगवान को लोप हो जाता है और व्यक्ति को सिर्फ ‘मैं’ की अनुभूति होती है, जो अहंकार का प्रादुर्भाव करती है।
रहीम कहते हैं, भक्ति की गली अत्यंत संकरी है, इसमें दो का एकसाथ चल पाना असंभव है। कोई यह चाहे कि वह और भगवान दोनों साथ गली में चलें तो यह कल्पना थोथी साबित होगी और मूर्त नहीं हो सकेगी। यदि व्यक्ति के अंतर में ‘मैं’ का लोप हो चुका है तो गली में उसे हरि के अपनी ओर आते हुए दर्शन होते हैं।
रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
बागन विच विच देखिअत, सेहुड़ कुंज शरीर।।
Rahiman ab ve birachh kahan, jinki chhanh ganbheer
Baagan vich vich dekhiyat, sehud kunj sharer
अर्थात (Meaning in Hindi): इस दोहे में रहीम सामाजिक दुरावस्था देखकर अफसोस जताते हैं। उनका कथन है कि समाज में पहले जैसे महापुरूष और गुणीजन नहीं रहे, जिनकी छत्रछाया में बैठकर जीवन के सार्थक मूल्यों और आदर्शों का सारगर्भित ज्ञान प्राप्त होता था। अब तो चारों ओर भ्रष्टचारियों, धूर्तों, कामियों और विधर्मियों की धूम मची हुई है, जिनके अपकर्मों से निर्दोष जनता त्राहि त्राहि कर रही है।
रहीम कहते हैं, अब ऐसे वृक्ष कहीं देखने को नहीं मिलते जिनकी घनी छांव के नीचे बैठकर थके मांदे व संतप्त जनों को चैन और शांति मिलती थी। अब तो बागों में जहां तहां सेहुड़ (एक पौधा जिसके पत्ते बड़े होते हैं), कुंज (जंगली लताएं) और करीर (करील के झाड़ झंखाड़) आदि उगे हैं, जिनसे किसी को लाभ नहीं होता और जो देखने मं भी भले नहीं लगते।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।