नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड का चार्ज खुद संभाल लिया है. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बारकेजरीवाल ने किसी महकमे का चार्ज अपने पास रखा है. यह दिखाता है कि पानी और सीवरेज का मुद्दा सरकार के लिए कितना मायने रखता है. 2020 के आगामी विधान सभा चुनावों के मद्दे नजर भी पानी का मुद्दा आप की सरकार के लिए निर्णायक हो सकता है.
पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के अनुसार जलबोर्ड की निकम्मी अफसरशाही अपनी मनमानी कर रही थी और उनकी सुन नहीं रही थी इसलिए मुख्यमंत्री को जलबोर्ड का चार्ज अपने हाथ में लेना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि जलबोर्ड में हद से ज्यादा नौकरशाही हावी है और जलबोर्ड पूरी तरह से कुप्रबंध का शिकार है. यही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जलबोर्ड के कुछ अफसर राजनीतिक कारणों से भी आप सरकार को नुक्सान पहुंचाने के इरादे से काम कर रहे हैं.
सोमवार को केजरीवाल ने जल बोर्ड के अफसरों के साथ मीटिंग की. विशेषरूप से कुछ इलाकों में पानी की कमी और पानी के वितरण की खामियों को लेकर केजरीवाल ने अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिल्ली की हर कॉलोनी में पानी पहुंचाने के इंतजाम पर रिपोर्ट मांगी है कि किस कॉलोनी में कितनी देर पानी आता है, किस-किस समय आता है, दिन में कितनी बार आता है और पानी के वितरण में क्या समस्याएं हैं? मुख्यमंत्री ने तयशुदा समय के अंदर इन समस्याओं के समाधान के निर्देश दिए.
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में पानी की कोई कमी नहीं है. रोजाना 900 मिलियन गैलन पानी शोधित होता है जिसका 40% लीकेज हो जाता है या चोरी हो जाता है. इसकी रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किये जाते जिस वजह से पानी की सप्लाई बाधित होती है.
केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के अफसरों से रिपोर्ट मांगी है कि उसके पास कितन पानी उपलब्ध है? उसमें से कितना उपभोक्ताओं तक पहुँचता है? कितने की चोरी हो जाती है? चोरी कहाँ कहाँ होती है? और इस चोरी में विभाग से कोई शामिल तो नहीं हैं?
केजरीवाल ने सभी कॉलोनियों को पाइप के नेटवर्क से जोड़ने के भी आदेश दिए.
विभाग की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने के लिए केजरीवाल ने जल बोर्ड में खाली पड़े पदों को तुरंत पदोन्नति या कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति कर भरने के आदेश दिए.
सीवरेज के मामले में सबसे ज्यादा अनियमितताएं देखने में आईं हैं. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमता से बहुत नीचे चल रहे हैं. ऐसे हालात में यमुना को स्वच्छ रखना असंभव है. अभी हाल ही में एसटीपी के निर्माण में घोटाले की बात भी सामने आई थी.
जलबोर्ड में पिछले साल जल मंत्री कपिल मिश्रा के हटाए जाने के बाद से एक के बाद एक विवाद सामने आ रहे हैं. इंजिनीयरों की हड़ताल हो या बिलों में गड़बड़ी का मामला, जल बोर्ड का नाता विवादों से छूट ही नहीं रहा. ऐसे में जलबोर्ड की कमान केजरीवाल के हाथों में आने से दिल्ली वासियों को पानी के समस्या से निजात पाने की उम्मीद जगी है.