इन दिनों गब्बर सुर्ख़ियों में है. राहुल गाँधी अपनी हर चुनावी सभा में जीएसटी यानी गब्बर सिंह टैक्स कह कर खूब तालियां बटोर रहे हैं. बहरहाल 12 नवंबर को हिंदी फिल्मों के अमर किरदार गब्बर सिंह यानी अमजद खान का जन्म दिन है.
फिल्म ‘शोले’ का ये ऐतिहासिक किरदार बरसों से लोगों को याद है. अमजद खान को ये यादगार कैसे मिला ये आज भी जिज्ञासा का विषय है.
‘शोले’ के कहानी और पटकथाकार सलीम जावेद की यादगार जोड़ी थी.बाद में ये जोड़ी टूट गई अब जावेद अख्तर गीतकार हैं और सलीम खान यानी सलमान खान के पिता अपने बेटे की फिल्मों के सलाहकार हैं.
कहानीकार सलीम खान की सिफारिश पर रमेश सिप्पी ने अमजद खान को गब्बर सिंह का किरदार निभाने का मौक़ा दिया था. जब सलीम खान ने अमजद खान से फिल्म शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभाने को कहा तो पहले तो अमजद खान घबरा गये लेकिन बाद में उन्होंने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया.
अमजद खान ने अपने किरदार को जीवंत बनाने के लिए चंबल के डाकुओं फ़िल्में देखीं, किताबें पढ़ीं तब उन्होंने कहा हाँ मैं ये किरदार करूंगा.बॉलीवुड की ब्लॉक बस्टर फिल्म शोले के किरदार गब्बर सिंह ने अमजद खान को फिल्म इंडस्ट्री में सशक्त पहचान दिलायी.
अमजद खान से पहले गब्बर सिंह की भूमिका के लिये डैनी का नाम प्रस्तावित था. लेकिन उन्होंने उस समय डैनी फ़िरोज़ खान के साथ ‘धर्मात्मा’ में काम कर रहे थे इसलिए उन्होंने ‘शोले’ में काम करने से इन्कार कर दिया.
गब्बर सिंह की भूमिका शत्रुघ्न सिन्हा को भी दी गयी थी परन्तु समयाभाव के कारण इनकार कर दिया था. बाद में जब फिल्म ‘शोले’ प्रदर्शित हुई तो अमजद खान का निभाया किरदार गब्बर सिंह दर्शको में इस कदर लोकप्रिय हुआ कि लोग गाहे-बगाहे उनकी आवाज और चालढ़ाल की नकल करने लगे।
अमजद खान का परिचय: 12 नवंबर 1940 जन्मे अमजद खान को अभिनय की कला विरासत में मिली. उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री में खलनायक रह चुके थे. अमजद खान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ से की थी.
अभिनय की दुनिया में आने से पूर्व अमजद के.आसिफ के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम कर रहे थे.सहायक के रूप में काम करने के साथ ही उन्होंने पहली बार कैमरे का सामना किया और के.आसिफ की फिल्म ‘लव एंड गॉड’ के बाद अमजद खान ने चेतन आनन्द की फिल्म ‘हिंदुस्तान की कसम’ में एक पाकिस्तानी पायलट की भूमिका की.
शोले के अलावा अमजद खान ने ‘कुर्बानी’, ‘लव स्टोरी’, ‘चरस’, ‘हम किसी से कम नही’, ‘इनकार’, ‘परवरिश’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘देस-परदेस’, ‘दादा’, ‘गंगा की सौगंध’,’कसमे-वादे’, ‘मुक्कदर का सिकन्दर’, ‘लावारिस’, ‘हमारे तुम्हारे’,’मिस्टर नटवरलाल’, ‘सुहाग’, ‘कालिया’,’लेडीस टेलर’, ‘नसीब’,’रॉकी’,’यातना’,’सम्राट’, ‘बगावत’,’सत्ते पे सत्ता’ आदि फिल्मो में यादगार किरदार अदा किये थे.
सत्तर के दशक में अमजद खान ने मुंबई से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बतौर अभिनेता काम करने के लिये फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया। वर्ष 1973 में बतौर अभिनेता उन्होंने फिल्म ‘हिंदुस्तान की कसम’ से अपने करियर की शुरूआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शको के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके।