ईसा मसीह ईसाई धर्म के संस्थापक थे। आज संसार के अनेक देशों में ईसाई धर्म को मानने वाले विद्यमान हैं। ईसाई धर्म के अनुयायियों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है।
ईसा मसीह का जन्म आज से दो हजार वर्ष पूर्व 25 दिसम्बर को हुआ था। आज का ईस्वी सन् ईसा मसीह के जन्म से ही गिना जाता है और 25 दिसम्बर को प्रति वर्ष ‘बड़ा दिन’ अर्थात् ‘क्रिसमस डे’ के रूप में मनाया जाता है।
ईसा मसीह का जन्म बेतहलम नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। यह गांव फिलिस्तीन देश के प्रसिद्ध नगर जेरूसेलम के पास स्थित है।
इनके पिता का नाम जोजफ और माँ का नाम मरियम था। वे जाति के यहूदी थे।
ईसा मसीह का अवतरण एक महापुरूष के रूप में हुआ था। वह एक अवतारी पुरूष थे। उनके जन्म पर लोगों ने आकाश में से तेज रोशनी को धरती पर उतरते देखा था। कुछ गड़रियों ने यह आकाशवाणी भी सुनी थी कि आज रात इस गांव में ईश्वर का पुत्र जन्म लेगा। इस आकाशवाणी की खबर पाकर फिलिस्तीन के दुष्ट राजा ने सभी शिशुओं की हत्या करने का आदेश दे दिया था। परंतु ईसा के पिता जोजफ उन्हें मिस्र देश ले जाने में सफल हो गये थे।
ईसा मसीह बचपन से ही बहुत दयालु स्वभाव के थे। उन्होंने सदैव मन की पवित्रता, अहिंसा और पापों का प्रायश्चित करने की शिक्षा दी। उन्होंने ईश्वर को पिता मानने का उपदेश दिया।
ईसा मसीह के 12 मुख्य शिष्य थे। जब ईसा मसीह मात्र 33 वर्ष के थे तब उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। उन पर धर्मनिंदा एवं लोगों को पथभ्रष्ट करने के झूठे दोष लगाये गये। इस मृत्युदण्ड के कुछ दिनों पश्चात ईसा मसीह पुनः जीवित हो गये व कब्र से उठकर चल पड़े। इस दिन को ईसाई ईस्टर के रूप में मनाते हैं।
आज संसार भर में ईसाई धर्म के प्रचारक सेवा भाव में जुटे हुये हैं। ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रंथ ‘बाइबिल है’।