भारत एक विशाल देश है। लम्बे समय तक परतंत्र रहने के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था डगमगा गयी। ‘सोने की चिड़िया’ कहलाने वाला भारत देश आज कई समस्याओं से जूझ रहा है। उनमें से एक प्रमुख समस्या बेकारी या बेरोजगारी है। आज यह समस्या अपनी चरम सीमा पर है।
विश्व के दूसरे देशों में भी बेकारी की समस्या है, पर भारत जितनी उग्र नहीं। जनसंख्या के अनुसार विश्व में भारत दूसरे स्थान पर आता है। चीन पहले स्थान पर है। किन्तु चीन में अब जनसंख्या वृद्धि में स्थिरता आयी है। बहुत सम्भावना है कि भारत अगले दशक तक विश्व में जनसंख्या में पहले स्थान पर आ जाये। इस प्रकार बेरोजगारी का पहला कारण बढ़ती जनसंख्या है। इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने जरूरी हैं।
बेकारी पर दूसरा कारण हमारे यहाँ की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति है। अंग्रेजों ने हमारे कुटीर उद्योगों पर आघात किया और हमारी पीढ़ियों को निकम्मा बना गये। उनके द्वारा प्रारम्भ की गयी शिक्षा प्रणाली में इंसान क्लर्क बनता है। नौकरी चाहता है। परन्तु हाथ के काम, स्वरोजगार के लिये प्रेरित नहीं होता।
हमें अपनी शिक्षा को रोजगार उन्मुख बनाना होगा। प्रशिक्षण केन्द्र, व्यावसायिक शिक्षा इत्यादि को प्रोत्साहन देना होगा।
स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को कर्ज एवं मार्गदर्शन के रूप में उचित मदद मिलनी चाहिये।
देश में उद्योगों का विकास करना चाहिये ताकि रोजगार के अवसर बढ़ें। देश में विदेशी पूँजी व उन्नत तकनीक को आकर्षित करना चाहिये जिससे रोजगार में वृद्धि हो।
बेरोजगारी कई समस्याओं को जन्म देती हैं जैसे भ्रष्टाचार, आतकंवाद, अराजकता इत्यादि। युवा वर्ग की शक्ति एवं ऊर्जा के प्रयोग के लिये उन्हें सही शिक्षा और उसके बाद उचित मार्गदर्शन मिलना जरूरी है, वरना युवक भटक जाते हैं और समाज में बुराईयाँ फैलती हैं।
सरकार की ओर से बेरोजगारी को दूर करने के लिये बनायी गयी योजनाओं का सख्ती से पालन होना चाहिये।