प्राचीन समय में जो आकर्षण मेलों का हुआ करता था उसी से कुछ मिलता जुलता आकर्षण प्रदर्शनी का है। देखने योग्य वस्तुओं के प्रदर्शन करने को प्रदर्शनी कहा जाता है।

प्रगति मैदान, दिल्ली में समय समय पर कई प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। जनवरी के अन्त और फरवरी के अन्तिम सप्ताह में प्लास्टिक की प्रदर्शनी लगती है। इसी तरह वहाँ पर किसी न किसी खास विषय को लेकर छोटी या बड़ी प्रदर्शनी लगती रहती है। कृषि प्रदर्शनी, डाक टिकटों की प्रदर्शनी, चित्रों की प्रदर्शनी, घर के सजावट के सामान की प्रदर्शनी, हीरे और सोने के गहनों की प्रदर्शनी, सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री या फैशन के उपयोग में आने वाले अन्य सामान की प्रदर्शनी लगायी जा सकती है।
अपनी अपनी रूचि और सुविधा के अनुसार लोग इन प्रदर्शनियों को देखने जाते हैं। कुछ प्रदर्शनियां छोटे स्तर की होती हैं। वह किसी हाल या कमरे में ही लगाई जाती हैं, जैसे चित्रों व डाक टिकटों की! कृषि व उद्योग से सम्बन्धित प्रदर्शनी खुले मैदानों में लगायी जाती हैं।
प्रति वर्ष दिल्ली के प्रगति मैदान में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक प्रदर्शनी का आयोजन होता है। जिसे ‘व्यापार मेला’ भी कहते हैं।
इसमें देश विदेश के विभिन्न मंडप सजाये जाते हैं। हमारे देश के हर प्रान्त का एक मंडप लगता है। मंडप में उस स्थान की जलवायु उत्पाद, पर्यटन स्थल इत्यादि के विषय में पूरी जानकारी दी जाती है। उस स्थान की हस्तकला, दस्तकारी, जीवन शैली, खान पान इत्यादि की वस्तुओं की प्रदर्शनी लगायी जाती है जिनका हमें ज्ञान भी मिलता है और उन्हें हम खरीद भी सकते हैं। वहाँ की खाने पीने की वस्तुओं से परिचित होकर हम उनका स्वाद भी उठा सकते हैं।
विभिन्न देशों की मशीनों, खिलौनों, कपड़ों, बिजली के सामान, दवाईयों, खेल के सामान को एक स्थान पर देखने का अवसर मिलना कितना रोमांचक है।
ऐसे मेले, आयोजन और प्रदर्शनियों के विषय में विज्ञापन दिये जाते हैं जिससे जन साधारण को उनके समय और स्थल की सूचना मिल सके।
हम सभी को इस तरह के आयोजनों का फायदा उठाना चाहिये और अपनी रूचि एवं सुविधा के अनुसार इन प्रदर्शनियों को देखने जाना चाहिये।