हिन्दु, मुसलमान, सिक्ख हों अथवा ईसाई भारत में सभी मिल जुल कर रहते हैं। भारत में सभी धर्म के लोग अपने अपने त्योहारों को हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं।
ईद मुसलमानों का एक मुख्य त्योहार है। यह वर्ष में दो बार आता है। एक ईद उल फितर होती है तो दूसरी ईद को ईद उल जुहा कहते हैं। ईद का त्योहार एक विशेष माह में चांद के दिखाई देने पर निर्भर करता है। ईद का चांद देखकर उससे अगले दिन सभी ईद का त्योहार मनाते हैं।
मुसलमान लोग ईद से पूर्व एक माह तक रमजान के महीने में रोजा रखते हैं। यह पूरा महीना नियमपूर्वक नमाज पढ़ने, व्रत करने में बिताते हैं। मुसलमान मानते हैं कि रोजा रखने और खुदा का नाम लेने से खुदा उनके सारे पाप नष्ट कद देगा।
ईद उल जुहा को बकरीद भी कहते हैं। एक चमत्कार के रूप में इस दिन मुसलमानों के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब को अपना बेटा कुर्बान करके वापस मिल गया था। तभी से यह त्योहार ईद के रूप में मनाया जाता है। मुसलमान इस अवसर पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं।
ईद के दिन सभी मुसलमान जल्दी उठकर नहा धोकर नये कपड़े पहनते हैं, फिर मस्जिद में जा कर नमाज पढ़ते हैं। उसके बाद एक दूसरे से गले मिलकर ‘ईद मुबारक’ कहते हैं।
ईद के दिन मुसलमान एक दूसरे को उपहार वह ईदी देते हैं। सिवैयां, मिठाई और पकवान खाते हैं। एक दूसरे के घर जाते हैं।
यह मुसलमानों का पवित्र त्योहार है जो त्याग और बलिदान का संदेश देता है।