विज्ञान ने लालपरी को एक जादुई डिब्बे में कैदर कर लिया है जो बटन दबाते ही हमारी रूचि को कार्यक्रम लेकर सामने आ जाती है। दूरदर्शन का शाब्दिक अर्थ है- दूर की वस्तु को देखना।
दूरदर्शन या टेलीविजन रेडियो का ही विकसित रूप है। टेलीविजन का आविष्कार सन् 1926 में स्काटलैंड के वैज्ञानिक जे एल बेयर्ड ने किया था। भारत में अक्टूबर 1959 में दूरदर्शन प्रारम्भ हुआ। पहले पहले केवल श्वेत श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) टी.वी. ही हुआ करते थे। दुनिया भर के लोग सायंकाल से देर रात तक टी.वी. के कार्यक्रमों का आनंद उठाते हैं।
आज रंगीन व केबल टी.वी. का युग है। दर्शकों के लिये भी सौ भी अधिक चैनल उपलब्ध है।
ताजातरीन समाचार हों, गीत संगीत हो, भजन कीर्तन हो या योग और ज्योतिष संबंधी कार्यक्रम हर भाषा में मनोरंजक और शिक्षाप्रद कार्यक्रमों की होड़ लगी हुई है। घर बैठे सभी कुछ देखने की सुविधा! रिमोट ने तो टी.वी. को दूर से बैठे बैठे ही संचालित कर सकते हैं।
दूरदर्शन हर उम्र, हर वर्ग, हर स्तर की रूचि के कार्यक्रम लेकर चौबीस घण्टे हमारी सेवा में उपस्थित है। छात्र, शिक्षक, डाक्टर, वैज्ञानिक, कृषक, मजदूर, उद्योगपति, व्यापारी और गृहिणी सभी इससे लाभ उठा सकते हैं।
किन्तु विज्ञान के इस अनमोल उपहार ने हमारा नुकसान भी किया है। बच्चों और बड़ों की गतिविधियों कमरे तक सीमित हो गयी हैं। सभी हर समय टी.वी. से चिपके रहना चाहते हैं जिससे न केवल समय की हानि होती है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। टी.वी. के सभी प्रोग्राम बच्चों के देखने के योग्य नहीं होते, बच्चों के कोमल मन और मस्तिष्क पर इनका दुष्प्रभाव पड़ता है। दूरदर्शन का दर्शन हमें दूर से बैठकर करना चाहिये, क्योंकि पास टी.वी. देखना आंखों को नुकसान पहुंचाता है।