दिल्ली: जैसी उम्मीद थी, आज विजय माल्या के मुद्दे पर राज्यसभा में जमकर हंगामा मचा। इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए कहा कि माल्या के विदेश जाने में सरकार भी जिम्मेदार है। जवाब में सरकार ने कांग्रेस पर हमला करते हुए इसके लिए कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि सीबीआई ने माल्या के खिलाफ 29 जुलाई 2015 को मामला दर्ज किया था, हमें लगा वह पकड़ में आ जाएंगे। सीबीआई का कहना है कि उसने लुकआउट नोटिस जारी किया है। जब इतनी एजेंसिया जांच कर रही थीं तो उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। सबको पता है कि वो एक ऐसा परिंदा है जो आज इस डाल पर, कल उस डाल पर रहता है। उसका पासपोर्ट ज़ब्त क्यों नहीं किया गया, वो सरकार की वजह से भागा है। इस आपराधिक साजिश में भारत सरकार पार्टी है। सुप्रीम कोर्ट को भारत सरकार को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
जवाब में अरुण जेटली ने कहा कि जब विजय माल्या बाहर थे, तब कांग्रेस की सरकार थी और फेमा के तहत मामला दर्ज किया गया था। माल्या को पिछली सरकार में सहूलियतें मिली थीं। माल्या पर 9 हजार करोड़ का कर्ज है और उनकी कई संपत्ति जब्त की गई है। बैंक एक एक पैसा वसूलने में लगे हैं।
इस पर फिर आजाद उठे और कहा कि जब कोई गरीब आदमी 5 हजार का भी लोन लेता है तो बैंक उससे ब्याज वसूलता है। सरकार को बैंकों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। बैंक हमारा या आपका नहीं है। विजय माल्या के रुप में दूसरा ललित मोदी पैदा नहीं होना चाहिए।
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वहीं लोकसभा में भी जेटली ने माल्या को लेकर बयान दिया लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट ने जवाब से असंतुष्ट होकर वाकआउट किया। जेटली ने कहा कि माल्या ग्रुप को यूपीए सरकार के दौरान दो बार कर्ज दिया गया। पहली बार 2004 में और दूसरी बार साल 2008 में। इस कर्ज की 2010 में किया गया। बैंक पूरा कर्ज वसूलने में लगे हैं, सरकार ने हर संभव कदम उठाने को कहा। लेकिन विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ।