रहीम के दोहे Rahim dohe in hindi
छिमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उतपात।
का रहिमन हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात।।
Chhima baden ko chahiye, chhotan ko utpaat
Ka Rahiman hari ko ghatyo, jo bhrigu maari lat
अर्थात (Meaning in Hindi): बड़े का बड़प्पन इसी में है कि वह सदैव निरहंकारी रहे। असभ्य व्यक्ति अभद्रता से पेश आए तो उसे आपा नहीं खोना चाहिए। यदि वह स्वयं पर अंकुश न रख सका तो बड़े व छोटे में भेद ही क्या रह जाएगा।
रहीम कहते हैं कि बड़े को क्षमाशील होना चाहिए, क्योंकि क्षमा करना ही उसक कत्र्तव्य, भूषण व बड़प्पन है, जबकि उत्पात व उदंडता करना छोटे को ही शोभा देता है। छोटों के उत्पात से बड़ों को कभी उद्विग्न नहीं होना चाहिए। क्षमा करने से उनका कुछ नहीं घटता। जब भृगु ने विष्णु को लात मारी तो उनका क्या घट गया? कुछ नहीं। (भृगु ने ब्रहमा-विष्णु-महेश की महानता को परखने के लिए विष्णु के वक्ष पर पाद-प्रहार किया। इससे विष्णु चुपचाप मुस्कराते रहे, जबकि ब्रहमा और महेश आपा खो बैठे। भृगु को उत्तर मिल चुका था। उन्हें ब्रहमा या महेश को लात मारने की आवश्यकता नहीं पड़ी।)
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन।
अब दादुर वक्ता भए, हम को पूछत कौन।।
Pavas dekhi rahim man, koil sadhe moun
Ab dadur vakta bhaye, ham ko poochat koun
अर्थात (Meaning in Hindi): यदि आपसे कोई अनर्गल बोल रहा है तो चुप रहना ही श्रेयस्कर है। इसी प्रकार यदि आसपास निरर्थक वार्तालाप चल रहा हो तो ऐसे अवसर पर भी मौन धारण करना चाहिए।
रहीम कहते हैं कि पावस देखकर एकाएक कोयल ने मौन धारण कर लिया। क्योंकि चारों ओर मेढ़कों के स्वर गूंज रह थे। कोयल का विचार है, अब जब मेंढ़क की वक्ता बन बैठें हों तो ऐसी स्थिति में हमें कौन पूछेगा।
रहिमन एक दिन वे रहे, बीच न सोहत हार।
वायु जो ऐसी बह गई, बीच परे पहार।।
Rahiman ek din ve rahe, beech na sohat haar
Vayu jo aisi bah gai, beech pare pahaar
अर्थात (Meaning in Hindi): चरित्रवान को यदि बुरे व्यक्ति के साथ देख लिया जाए तो लोग यह नहीं कहते कि बुरा व्यक्ति सुसंगति का लाभ उठा रहा है, बल्कि वे चकित होते हैं कि चरित्रवान की मति फिर गई है, जो कुसंगति कर स्वयं का नाश कर रहा है।
अतः रहीम परामर्श देते हैं कि जो उजली प्रकृत्ति का है, जिसका चरित्र दृढ़ व पवित्र है, ऐसे व्यक्ति को नीच की संगत से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उसका चरित्र लोगों की दृष्टि में संदिग्ध हो जाता है। भले ही चरित्रवान लाख सफाई देता फिरे, कोई उस पर विश्वास नहीं करता। नीच की संगति उसी प्रकार दागदा करती है, जिस प्रकार आंच से काला हुआ बर्तन उठाने से हाथ में कालिख लग जाती है।
रहिमन जिहा बावरी, कहि गइ सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।।
Rahiman jihaa bavari, kahi gai sarag pataal
Aapu to kahi bheetar rahi, jooti khaat kapaal
अर्थात (Meaning in Hindi): यह सर्वविदित है कि जीभ का कोई भरोसा नहीं, कभी भी कुछ भी कह देती है। यह भी नहीं सोचती कि उसका कहा सुनकर किसी को अच्छा लगेगा या बुरा। तभी तो विद्वानों ने सुझाव दिया है कि हमेशा सोच समझ कर बोलना चाहिए। मुख के बोल ही लोगों को मित्र बना सकते हैं और शत्रु भी।
रहीम कहते हैं, जीभ तो बावरी है, उस पर उसी का नियंत्रण नहीं होता। अनाप-शनाप कुछ भी कह जाती है। स्वयं तो बोलकर मुंह में दुबकी रहती है, परिणाम भुगतना पड़ता है सिर को। जीभ का तो कुछ नहीं बिगड़ता, लोगों की जूतियां बरसती हैं सिर पर।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुरे, जुरै गांठ परि जाय।।
Rahiman dhang prem ka mat todo chatkaay
Toote se fir na jure, jure gaanth par jaay
अर्थात (Meaning in Hindi): प्रेम की माया अपरम्पार है। प्रेम से किसी का भी हदय जीता जा सकता है। प्रेम का बंधन अटूट होता है, इसमें जरा भी गांठ पड़ गई तो उसे जोड़ना कठिन हो जाता है। जोड़ भी दिया जाए तो तोड़ने के निशान साफ दीखते हैं।
अतः रहीम जनसामान्य को यही परामर्श देते हैं कि प्रेम करो तो पूरी निष्ठा से करो। प्रेम ऐसा नाजुक धागा है, जो जरा से आघात से ही टूट कर चटक जाए तो उसमें पड़ी गांठ किसी से छिपी नहीं रहती।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।