दूर दूर तक फैले रेगिस्तान में एक बार बहुत सी पहाड़ी भेड़ें इकट्ठी हुईं। अपनी समस्याओं के बारे में विचार करते हुए सभी ने यह बात कही कि उन्हें अकेला जानकर हिंसक जानवर प्रायः मार डालते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि उनसे बचने का कोई उपाय ढूंढ़ लिया जाए।
एक बूढ़ी भेड़ ने समझाते हुए कहा, ”हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम सभी अलग अलग रहती हैं, अलग अलग घूमती हैं और अलग अलग घास चरती हैं। ऐसे में हमें आसानी से पकड़ लिया जाता है। यदि हम सभी हमेशा साथ साथ झुंड बनाकर निकलें तो हमें कोई भी हानि नहीं पहुंचा सकेगा।“
सभी भेड़ों ने उसकी बात मानते हुए प्रश्न किया, ”लेकिन इसके लिए हमें क्या करना चाहिए?“
बूढ़ी भेड़ ने कहा, ”इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि हम सभी एक घेरा बनाकर रहें और घेरे के बाहर किसी भेड़ को हर समय चौकसी के लिए रख दें। जहां कहीं भी हम जाएं झुंड बनाकर चलें और चौकस रहें।“
एक छोटी भेड़ ने आश्चर्य प्रकट करते हुए पूछा, ”क्या एक भेड़ हमेशा चौकसी रख सकेगी?“ बूढ़ी भेड़ ने उत्तर देते हुए कहा, ”इसके लिए बारी बारी से सभी भेड़ों को चौकसी के लिए रखा जाएगा।“
सभी इस निर्णय से सहमत हो गए।
एक लोमड़ी ने भेड़ों की ये सारे बातें सुन लीं। लोमड़ी तुरंत भेड़िये के पास गई और बोली, ”भेड़िये भैया, मैंने बहुत ही बढ़िया शिकार देखा है, अब आप जल्दी से मेरे साथ चलें।“
अपनी जीभ लपलपाते हुए भेड़िया बोला, ”कौन सा शिकार? और कहां?“
लोमड़ी ने उत्तर दिया, ”मैं यह बात तभी बताऊंगी जब आप यह वायदा करें कि शिकार के बाद आप मुझे भूल नहीं जाएंगे।“
भेड़िये ने कहा, ”नहीं बहन, तुम्हें न भूलूंगा।“
लोमड़ी ने बताया, ”देखो, यहां से थोड़ी दूर वहां पर भेड़ें झुंड बनाकर घास चर रही हैं। उनकी चौकसी करने वाली भेड़ें समय समय पर अवश्य ही सो जाएंगी। तब आप चुपके से उनके पास पहुंच जाना पहले यदि एक भेड़ मिलती थी तो अब आप कम से कम पांच आसानी से पकड़ लेंगे।“
”अच्छा चलो चलते हैं।“ भेड़िये ने कहा।
अंधेरे में भेड़िया और लोमड़ी, पहले तेजी से बाद में धीरे धीरे भेड़ों के झुंड की ओर बढ़़ने लगे। चौकसी करने वाली भेड़ों ने उनके पैरों की आवाज दूर से ही सुन ली और सभी भेड़ों को सावधान कर दिया। भेड़ें सुरक्षित स्थान की ओर भाग गईं।
भेड़िया पछताता रह गया। लोमड़ी भी दुखी थी।
भेड़िया और लोमड़ी ने कई बार भेड़ों का पीछा किया किंतु अपनी चौकसी के कारण भेड़ें हर बार भागने में सफल हो जातीं वे अपने चरने का स्थान भी बदल देती थीं। भेड़िया और लोमड़ी पछताते रह जाते।
भूखा थका भेड़िया इसी तरह लगातार इधर से उधर घूमतरा रहा, लेकिन उसे कुछ भी हाथ नहीं लगा। भेड़ों की चौकसी के कारण वे भागने में सफल हो जाती थीं। बूढ़ी भेड़ की सलाह काम आ गई।
लोमड़ी को डांटते हुए भेड़िये ने कहा, ”लगता है यह सब तेरी चाल है।“ यह कहकर वह लोमड़ी की ओर लपका। भय से कांपती हुई लोमड़ी तुरंत भाग खड़ी हुई।
उसी समय से आज तक भेड़ें झुंड में ही साथ साथ रहती, घूमती और घास चरती हैं।