दिल्ली: बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन एबीवीपी के जेएनयू के सोशल साइंस विभाग के तीन पदाधिकारियों ने जेएनयू घटना पर केंद्र सरकार, भाजपा, एबीवीपी और मीडिया के रूख के विरोध में अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया. जेएनयू की देश विरोधी नारेबाजी की घटनाओं के बाद यह भगवा घातक संगठनों में पहली दरार उभर कर सामने आई है .
साथ ही इन तीन एबीवीपी पदाधिकारियों ने रोहित वेमुळे की घटना पर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के विरोध को भी अपने त्याग पत्र का एक बड़ा कारण बताया है.
प्रदीप नरवाल, संयुक्त सचिव, एबीवीपी, ने आज अपनी फेसबुक वाल पर एक पोस्ट डाल कर एबीवीपी से त्यागपत्र की अपनी घोषणा सार्वजनिक रूप से कर दी. उनके साथ राहुल यादव और अंकित हंस नमक छात्रों ने भी एबीवीपी के पदों को छोड़ने की जानकारी भी दी है. ये तीनों जेएनयू में स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज की एबीवीपी यूनिट के पदाधिकारी थे.
ABVP के इन पदाधिकारियों का यह रेजिग्नेशन भाजपा समर्थकों के बीच पहली विरोध की आवाज है जो उस तरीके के खिलाफ उठी है जो भाजपा, केंद्र सरकार, उसके घातक छात्र संगठन एबीवीपी और बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद आदि ने अपनाया है. अपनी पोस्ट में प्रदीप नरवाल ने कहा है कि “हम ऐसी सरकार का भौंपू नहीं बने रह सकते जिन्होंने छात्रों का दमन करने में कोई कोर-कसर नहीं रख छोड़ी है.”
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अपनी पोस्ट में उन्होंने बीजेपी MLA ओपी शर्मा पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि देश विरोधी नारेबाजी करने वालों पर भी कानून के तहत उचित कार्रवाई होनी ही चाहिए .अपने फेसबुक पोस्ट में इन छात्रों ने मीडिया के रोल पर भी सवाल उठाये और कहा कि इस घटना को तूल देने में मीडिया का बड़ा गलत रोल रहा है. उन्होंने कहा कि मीडिया की वजह से आज देश भर में जेएनयू के खिलाफ नफ़रत का माहौल बन रहा है .