रघुनंद आनंद कंद कौसल चंद दशरथ नंदनम् में कौनसा अलंकार है?
प्रश्न – रघुनंद आनंद कंद कौसल चंद दशरथ नंदनम् में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि इसमें वर्णों की आवृत्ति हो रही है जिससे कविता में लयात्मकता आ गई है। अंतिम शब्दों में तुकांत से भी कविता में चमत्कार उतपन्न हो रहा है।
इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का कौन सा भेद हैं?
इस पंक्ति में अनेक वर्णों की आवृत्ति होने के कारण इसमें छेकानुप्रास है । साथ ही दंत्य वर्णों की एक साथ उपस्थिति के कारण इस पंक्ति में श्रुत्यानुप्रास है।
जैसा कि आपने इस उदाहरण में देखा जहां पर किसी वर्ण के विशेष प्रयोग से पंक्ति में सुंदरता, लय तथा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है उसे हम शब्दालंकार कहते हैं।
अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
रघुनंद आनंद कंद कौसल चंद दशरथ नंदनम् में अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।
प्रस्तुत पंक्ति में अन्य अलंकार की उपस्थिति-
कौशल पर आकाश का आरोप है इसलिए यहाँ रुपक अलंकार है। राम पर चंद्रमा का आरोप भी रुपक अलंकार का सुंदर उदाहरण है।
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- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?
- कबीरा सोई पीर है, जो जानै पर पीर। में कौन सा अलंकार है?
- कहि ‘सुन्दर’ नंद कुमार लिए, तन को तनकौ नहिं चैन कहूँ। में कौन सा अलंकार है?
- कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी में कौन सा अलंकार है?