मुझे अध्ययन में विशेष रूचि है। अपने पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त मैं अपनी पसंद की अन्य पत्र पत्रिकायें भी पढ़ती रहती हूँ। हिन्दी मेरा प्रिय विषय है।
हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य बहुत सम्पन्न है। हिन्दी भाषा की व्याकरण मुझे बहुत पसंद है, क्योंकि इसको मन लगा कर पढ़ने से न केवल अच्छे अंक मिलते हैं, बल्कि हमारा भाषा ज्ञान भी बढ़ता है। समास, मुहावरे, कहावतें, सन्धि विच्छेद इत्यादि को पढ़कर व उनका अभ्यास करके मुझे रोमांच हो जाता है।
हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में हिन्दी कविताओं व कहानियों की पुस्तकों की भरमार है। अपने खाली पीरियड में प्रायः वहाँ जाकर मैं हिन्दी कहानियाँ पढ़ती हूँ। मुझे प्रेमचन्द की कहानियाँ बहुत अच्छी लगती हैं।
प्रेमचन्द की कहानियाँ ‘दो बैलों की कथा’ व ‘बड़े घर की बेटी’ हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं। प्रेमचन्द की कहानियाँ पढ़ कर हदय आनन्दित हो जाता है।
अलंकारों से अलंकृत हिन्दी कविता और दोहे पढ़ने की तो बात ही अलग है। रामायण की चौपाइयां किसे अच्छी नहीं लगेंगी।
हिन्दी जहाँ मेरी मातृ भाषा है वहीं हमारी राष्ट्रीय भाषा भी है।
किन्तु हमारे समाज में हिन्दी का अपमान होता देखकर मुझे बहुत दुख होता है। कवेल वर्ष में एक बार ‘हिन्दी दिवस’ या ‘हिन्दी पखवाड़ा’ मनाने से कुछ नहीं होगा।
हिन्दी भाषा को अपने ही देश में द्वितीय दर्जा प्राप्त है। समाज में अंग्रेजी बोलने को ही पढ़ा लिखा समझा जाता है। हिन्दी के पंडितों एवं विद्वानों को वह सम्मान ही मिलता जो एक अंग्र्रेजी जानने वाले को मिलता है। मगर अब हमारे देशवासियों को भारतेन्दु हरिश्चन्द्र एवं गाँधी जी की यह बात समझ आ गयी है कि हिन्दी की उन्नति में ही हमारे देश की उन्नति है। अब प्रशासन एवं बैंकों का सभी कामकाज हिन्दी भाषा में किया जाता है।
मैं बड़ी होकर हिन्दी की विदुषी बनना चाहती हूँ। हिन्दी साहित्य की सेवा करना चाहती हूँ। हिन्दी को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाना चाहती हूं ।