दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन की कंपनी कोल इंडिया ने अपने 37 खदानों को बंद करने का फैसला लिया है. इससे कोल इंडिया में काम करने वाले 11,000 कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा पैदा हो गया है.
कोल इंडिया के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया “चूंकि इन खदानों के उत्पादन का खर्च अधिक है तथा इनसे भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसलिए कोल् इंडिया उन सभी इकाइयों को बंद करेगा जो लाभकारी नहीं हैं.”
कोल् इंडिया भारत का कुल 80% कोयले का उत्पादन अकेले करता है परन्तु पिछले कुछ समय से यह संस्था लगातार घाटे में चल रही है. उच्च लागत के कारण इसे पिछले चार तिमाहियों में काफी कम मुनाफा हुआ है और हाल ही में कम मांग के चलते अपने कोयला उत्पादन लक्ष्य को 10 फ़ीसदी घटा दिया है।
भारत का नवीकरणीय ऊर्जा पर झुकाव इस घाटे का प्रमुख कारण है. परन्तु इतनी बड़ी संख्या में नौकरियों की कटौती ने मजदूर यूनियन को सरकार के खिलाफ खड़ा कर दिया है.
पांच केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने कोयला के वाणिज्यिक खनन सहित कई मुद्दों पर विरोध करने के लिए तीन दिवसीय हड़ताल की नोटिस पहले ही सौंप दी है. कोल् वर्कर यूनियन ने कहा है कि कोल इंडिया के 4 लाख से अधिक कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं. और उन्होंने 3 दिवसीय हड़ताल की धमकी भी दी है.
कोल इंडिया 413 खानों का संचालन करती है, जिनमें से 207 भूमिगत हैं, 176 खुले कास्ट हैं और 30 मिश्रित हैं।