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पाकिस्तानी लड़कियों की रोल मॉडल महिला सुपर हीरो ‘सारा’

दिल्ली.इन दिनों पाकिस्तान में ‘पाकिस्तान गर्ल’ कॉमिक सीरीज की मुख्य किरदार सारा की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.सारा पाकिस्तान में महिलाओं की बेहतरी के लिए काम कर रही है.

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‘पाकिस्तान गर्ल’ एक आम लड़की की कहानी है जो अपनी पालतू बिल्ली के साथ एक गांव में रहती थी. गांव में अचानक विस्फोट होता है जिसके बाद वह कोमा में चली जाती है.कोमा से बाहर आने की बाद उसे एहसास होता है कि उसके पास अलौकिक शक्तियां हैं.जिसका इस्तेमाल वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए करती है.

हरे रंग की पोशाक पहने सारा कभी एक औरत को पीट रहे आदमी पर निशाना साधती है तो वहीं कभी रिश्वत मांगने वाले पुलिस अधिकारी से लड़की को बचाती है. सारा के यही कारनामे दिन पर दिन खूब लोकप्रिय हो रहे हैं.

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अंग्रेजी की इस कॉमिक सीरीज के रचयिता हसन सिद्दीक़ी को भरोसा है कि सुपर हीरो के तौर पर उभरता यह महिला चरित्र पाकिस्तान में लड़कियों का रोल मॉडल साबित होगा. साथ ही देश की लड़कियों को भ्रष्टाचार, अपराध और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

सिद्दीक़ी का मानना हैकि महिला रोल मॉडलों की भारी कमी है लेकिन सुपर हीरो यहां की मुख्यधारा में काफी लोकप्रिय हैं.इसलिये हमारी कोशिश थी कि एक मजबूत महिला किरदार तैयार करें जो देश की लड़कियों को और पूरे महिला तबके को प्रेरणा दे सके.

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पाकिस्तान में महिलाओं की सामाजिक स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है और आज यहां महिलायें अपने हक की मांग कर रहीं हैं.सारा के इस किरदार को सोशल मीडिया पर भी खूब तवज्जो मिल रही है. पाठक इसे पसंद कर रहे हैं और फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर सकारात्मक प्रतिक्रया दे रहे हैं.

लोग सिद्दीक़ी के इस कदम की भी खूब तारीफ कर रहे हैं. सिद्दीक़ी इस कॉमिक सीरीज को उर्दू में लाने पर विचार कर रहे हैं. उनका मकसद लाखों पाठकों तक पहुंचना है. साथ ही सिद्दीक़ी इसे ऐनिमेशन फॉर्म में उतारने की संभावनायें भी तलाश रहे हैं.

सिद्दीक़ी के लिये लाखों लोगों तक अपनी कॉमिक सीरीज को पहुंचाना आसान नहीं है. इस समस्या का एक बड़ा कारण पाकिस्तान की खस्ता हाल शिक्षा व्यवस्था है. निरक्षरता का आलम यह है कि देश में करीब आठ साल की उम्र वाले आधे से अधिक बच्चे पढ़ने में अक्षम हैं.

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साल 2016 के सरकारी आंकड़ों को मुताबिक, पाकिस्तान के तक़रीबन 2.4 करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर हैं. इनमें भी लड़कियां अधिक हैं जो घरों में रहती हैं. इस कॉमिक सीरीज को शिक्षकों का खूब समर्थन मिल रहा है.

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