रहीम के दोहे Rahim ke dohe in hindi with meaning in hindi
यों रहीम तन हाट में, मनुआ गयो बिकाय।
ज्यों जल में छाया परे, काया भीतर नाय।।
Yo Rahin tan haat mein, manua gayo bikaaya
Jyon jal mein chhaya pare, kaya bheetar nay
अर्थात (Meaning in Hindi): मनुष्य भौतिकता के वशीभूत होकर आजीवन भोग विलास में लिप्त रहता है। वह इसे ही वास्तविक जीवन समझने की भूल कर बैठता है। इस प्रकार उसका सारा जीवन ही व्यर्थ बीत जाता है। अंतकाल में उसे पछतावा होता है कि जिस भोग विलास को वह वास्तविक जीवन समझ बैठा था, वस्तुतः वह भ्रम और माया के अतिरिक्त कुछ नहीं था। इससे उसकी काया को ही दुख सुख मिला, आत्मा अतृप्त ही रही।
रहीम कहते हैं, यह संसार क्या है? यह तन का ऐसा हाट है, जहां सर्वत्र रूप की प्रदर्शनी होती है। रूप देखकर लोगों का मन इस कदर मुग्ध होता है कि बिना मोल बिक जाता है। सच तो यह है कि यह मोह माया के अतिरक्ति और कुछ नहीं। इसमें किसी को आत्मिक संतोष नहीं मिलता। इस प्रकार का जीवन वैसा ही है, जैसे जल में मनुष्य की छाया तो हो, पर उसमें काया न हो, प्राण और आत्मा न हों।
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बांटनबारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग।।
Ve Rahim nar dhanya hain, par upkaari ang
Bantanbare ko lage, jyon mehndi ko rang
अर्थात (Meaning in Hindi): जिसने स्वयं ही अर्जित किया और स्वयं ही भोग लगाया, उसका जीवन भी भला कोई जीवन है। ऐसा व्यक्ति स्वार्थी होता है और मरणोपरांत लोग उसका नाम तक भूल जाते हैं। लेकिन परोपकारी व्यक्ति को विस्मृत नहीं कर पाते।
रहीम कहते हैं, ऐसे व्यक्ति निस्संदेह धन्य हैं, जिनका अंग अंग परोपकार के लिए आतुर रहता है। वह जीवन की सार्थकता परोपकार में ही मानता है।
जिस प्रकार मेंहदी पीसकर दूसरों के हाथ में मेंहदी लगाने वाले के अपने हाथ भी स्वतः रंग जाते हैं, उसी प्रकार उपकार करने वाले के अंग भी उपकार के आनंदरूपी रंग में रच बस जाते हैं।
रहिमन निज मन की बिथा, मनही राखो गोय।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बांटि न लेहैं कोय।।
Rahiman nij man kee bitha, man hi rakho goy
Suni athilainhe log sab, baanti na lehain koy
अर्थात (Meaning in Hindi): यह सच है कि क्या मित्र वही होता है, जो दुख दर्द में काम आता है। यह भी कहा जाता है कि अपने दुख दर्द बांटने से उसकी पीड़ा कम हो जाती है। पर अपना कौन है, किसे दोस्त माना जाए, इसकी क्या कसौटी है। प्रायः ऐसा होता है कि लोग दूसरों को अपना दुख दर्द सुनाते हैं, लेकिन सुनने वाले सामने तो सहानुभूति का प्रदर्शन करते हैं, किंतु पीठ पीछे उसका परिहास करते हैं।
ऐसी स्थिति को देखते हुए रहीम कहते हैं, मन में चाहे कितनी ही पीड़ा क्यों न हो, उसे किसी को सुनाने की आवश्यकता नहीं। बेहतर यही है कि मन की व्यथा मन में ही छिपाकर रखो। सुनाने को कोई लाभ नहीं होगा। अगर किसी को अपनी व्यथा सुनाएंगे भी तो पीठ पीछे वह आपका मजाक उड़ाएंगे। इनमें से कोई भी ऐसा नहीं है, जो पीड़ा को बांटने वाला हो। धैर्यमना होकर पीड़ा को सहने की शक्ति अर्जित करो।
रहिमन लाख भली करो, अगुनी अगुन न जाय।
राग सुनत तय पिअत ह्, सांप सहज धरि खाय।।
Rahiman lakh bhalee karo, aguni agun na jay
Raag sunat tay piyat hva, saamp sahaj dhari khaay
अर्थात (Meaning in Hindi): सबका अपना अपना स्वभाव होता है और अपने स्वभाव से मुक्त हो पाना अत्यंत कठिन होता है। जैसे चोर चोरी करना भले ही छोड़ दे किंतु हेरा फेरी नहीं छोड़ेगा। झूठ बोलने वाला भी सच के महत्व को जानता है, किंतु वह स्वार्थ पूर्ति हेतु झूठ का आलंबन लेगा। दुष्प्रवृत्ति वालों से कितना ही सदव्यवहार करो, वह अपनी करनी से कभी नहीं चूकता।
रहीम कहते हैं, आप लाख भला करें, किंतु यदि सामने प्रपंची खड़ा होगा तो इस भलाई का आपको कोई फल मिलने वाला नहीं। दुष्टजन वैसे ही अपने अवगुण का त्याग नहीं कर पाते, जैसे अवगुणी का अवगुण नहीं जाता। सांप सांप ही होता है, उसे खूब लाड़ दुलार से पालने पर भी वह अपने कपट को तज नहीं सकता। उसे सपेरा बड़े प्रेम से दूध पिलाता है, किंतु वह अवसर मिलते ही उसे भी डंसने में नहीं हिचकता।
रीति प्रीति सब सों भली, बैर न हित मित गोत।
रहिमन याही जनक की, बुरि न संगति होत।।
Reeti preeti sab soun bhalee, bair na hit mit got
Rahiman rahi janak kee, burin a sangati hot
अर्थात (Meaning in Hindi): मेल मिलाप से ही जीवन व्यतीत करना सुखद है। लड़ते झगड़ते या बैर करते हुए जीवन व्यतीत करने का कोई अर्थ नहीं है। ऐसी स्थिति में चित्त सदैव अशांत रहता है। इसका भी कोई भरोसा नहीं होता कि कब कौन धोखे से वार करे अथवा षड्यंत्र में धन गंवाना पड़े। मैत्रीभाव में रहते समय मस्तिष्क को कोई दुष्चिंता नहीं सताती। वह शांति एवं उत्साह से खुद भी जीता है, दूसरों को भी जीने देता है।
रहीम कहते हैं, सबसे उत्तम रीति है प्रीति की। अतः सबके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने में ही लाभ है। हितैषियों, मित्रों व कुल परिवार वालों को कभी दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए। इनका सान्निध्य मिला है तो इससे अलग होने का प्रयास करना हानिप्रद है। यह जो संगति मिली है, वह इसी जन्म की है। अगले जन्म के फेर में मत पड़ो, पता नहीं अगले जन्म में इनकी मित्रता मिले न मिले। अतः इस जन्म में जिनकी मित्रता प्राप्त है, उसको निभाना चाहिए।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।