Eid par laghu nibandh
प्रस्तावना- ईद मुसलमानों का मुख्य त्योहार है। यह परोपकार और भाईचारे का संदेश वाहक है। यह त्योहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक को ‘ईद-उल-फितर’ कहते हैं और दूसरी को ‘ईद-उल-जुहा।’ हजरत मुहम्मद इस्लाम धर्म के प्रवत्र्तक थे। ईद का सम्बन्ध हजरत मुहम्मद साहब से है। ईद के चाँद को देखते ही इस त्योहार का आरम्भ हो जाता है। ईद से पहले तीस दिन मुसलमान भाई रोजा रखते हैं।
ईद का आरम्भ- ईद के चांद के दिखाई देने से रोजों का आरम्भ हो जाता है। रोजे के दिनों में मुसलमान भाई पूरा दिन कुछ भी नहीं खाते। पानी भी नहीं पीते। ईद किसी निश्चित महीने में नहीं आती। कभी कभी यह जून जैसे गर्मी के महीने में भी आ जाती है। मुसलमान भाई जून के महीने में भी सारा दिन बिना पानी पिए गुजार देते हैं।
ईद के पहले महीने को रमजान का महीना कहते हैं। इस पूरे महीने में मुसलमान दिन के समय उपवास रखते हैं और सारा समय खुदा की इबादत में गुजारते हैं। इन दिनों में वे किसी भी प्रकार का अनैतिक काम न करने का प्रयत्न करते हैं।
मनाने का तरीका-ईद के दिन ही वे खाना पीना शुरू करते हैं। ईद उल फितर के दिन मुसलमान भाई अपने घरों में कई तरह की मीठी सेवई पकाते हैं और उन्हें बाँटते हैं। इस ईद को इसलिए मीठी ईद भी कहते हैं।
इस ईद के दो महीने और नौ दिन के बाद चांद की दस तारीख को एक और ईद मनाते हैं। इस ईद को ईद उल जुहा या बकरीद कहते हैं। इस दिन बकरे काटते हैं और उसके माँस को अपने मित्रों में बाँटते हैं।
ईद के दिन मुसलमान सूर्य निकलने के बाद नमाज पढ़ते हैं और वे ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। ईश्वर की कृपा से वह रमजान का वत रखने में सफल हुए। वे ईश्वर से यह भी प्रार्थना करते हैं कि यदि रमजान के दिनों में जाने अनजाने में उन से कोई गलती हो गई हो या कोई अपराध हो गया हो तो ईश्वर उसे क्षमा कर दें। इस शुभ अवसर पर मुसलमान गरीब भाइयों को दान करते हैं जिससे वे भी ईद का त्योहार खुशी खुशी मना सकें। इस दिन मस्जिदों और ईदगाहों में बहुत भीड़ होती है। नमाज पढ़ने के बाद सब आपस में मिलते हैं और एक दूसरे को ईद मुबारक कहते हैं।
संदेश- ईद खुशी का त्योहार है। अपने आप को शुद्ध करने का इससे संदेश मिलता है। सभी को आपस में मिल जुलकर श्रद्भावपूर्वक रहना चाहिए। दूसरों की सहायता करना अपना कत्र्तव्य समझना चाहिए। यह त्योहार प्रेम एकता, भाईचारा और समानता की शिक्षा देता है।
उपसंहार- ईद का शुभ संदेश हमें घर घर पहुँचाना चाहिए। यदि मनुष्य ईद जैसे शुभ त्योहार की पवित्र भावना को अपने जीवन में उतार ले तो जीवन में आनंद और खुशी का साम्राज्य छा जाए। घृणा, द्वेष आदि विकार दूर हो जाएँ।