एक मुर्गा और एक कुत्ता एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे। एक दिन वे दोनों किसी जंगल से होकर यात्रा कर रहे थे। चलते-चलते अंधेरा छाने लगा। एक बड़ा सा पेड़ देखकर दोनों मित्रों ने आराम से रात काटने की सोची।
मुर्गे ने कहा- ”भाई कुत्ते! अब मुनासिब सी जगह देखकर आराम करें। ऐसा करते हैं, मैं इस पेड़ पर चढ़कर किसी डाल पर जम जाता हूं। तुम आस-पास ही कहीं मुनासिब जगह देखकर आराम करो।“
”ठीक है भाई! तुम पहुंचो अपने ठिकाने पर, मैं तो यहीं कहीं डेरा जमा लेता हूं।“
मुर्गे ने अपने पंख फड़फड़ाए और पेड़ की एक ऊंची डाल पर जा बैठा और कुत्ता पेड़ के नीचे आराम करने लगा।
दोनों मित्र रात भर खर्राटे भर कर सोते रहे। जब भोर हो गई तो मुर्गे ने उठकर बांग दी।
एक लोमड़ी वहीं आस-पास कहीं रहती थी। मुर्गे की बांग की आवाज सुनकर उसकी नींद भी खुल गई। कुछ ही देर बाद लोमड़ी उस ओर चली गई। उसने अपनी नजरें घुमाकर चारों तरफ देखा। तभी उसे पेड़ पर बैठा मुर्गा दिखाई दिया। मुर्गे को देखकर उसके मुंह में पानी भर आया।
मुर्गा उसकी पहुंच से बाहर था, इसलिए वह बहुत होशियारी से पेड़ के चारों और चक्कर काटने लगी। वह सोच रही थी कि अपने शिकार को पाने के लिए वह कौन सा उपाय करे।
उसने मुर्गे से कहा- ”मित्र, मैंने भोर में तुम्हारी मीठी बांग सुनी। मैं तुम्हारी मधुर वाणी से इतनी प्रभावित हूं कि मेरे जी चाहता है कि तुम्हारी पीठ ठोकूं।“
”क्यों नही!“ मुर्गे ने चालाकी से काम लेते हुए कहा- ”नीचे जो चौकीदारी सो रहा है, उसे जगा कर कहो सीढ़ी लगाए ताकि मैं नीचे आ सकूं।“
लोमड़ी ने मुर्गे को खाने की जल्दी में पेड़ के नीचे लेटे कुत्ते का जगा दिया। कुत्ते ने अपने सामने एक लोमड़ी को देखा तो उस पर झपट पड़ा और उसे मार डाला।
निष्कर्ष- दूसरे को अहित करने वाले का पहले अहित होता है।