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नोटबंदी ने हिला दी अर्थव्यवस्था की जड़ें, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जब से नोटबंदी के बाद 1000 और 500 रुपये के 99 % नोट वापस आने की बात कही है तब से देश में बहस का दौर जारी है कि क्या वास्तव में नोटबंदी से देश को कोई फायदा हुआ. लेकिन इस बारे में सबसे चौंकाने वाला खुलासा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में हुआ है. भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कहा है कि नोटबंदी का भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा नकारात्मक असर हुआ है और नोटबंदी के दुष्प्रभाव आगे आने वाले समय में जारी रह सकते हैं. नोटबंदी के असर से देश में व्यापारिक गतिविधियों को उबरने में अभी और भी समय लग सकता है.

modi notebandi failभारत सरकार ने 8 नवम्बर 2016 से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों का प्रचलन अवैध घोषित कर दिया था. इसके बदले 2000 रुपये और 500 रुपये के नए नोट बाजार में उतारे गए थे.

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सरकार के नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने 15000 करोड़ रुपये के प्राइवेट प्लेसमेंट द्वारा शेयर बिक्री से पहले संस्थागत निवेशकों के सामने यह खुलासा किया.

“हाल ही में हुए डिमॉनेटाइजेशन के निर्णय का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया पर प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं है” – बैंक ने अपने प्रीलिमिनरी प्लेसमेंट दस्तावेज में ‘रिस्क फैक्टर्स”  के तहत यह खुलासा किया है. दस्तावेज में उल्लेख के अनुसार – “विमुद्रीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार को धीमा किया है जिसका बैंक की परफॉर्मन्स पर असर पड़ सकता है”

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हालांकि बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अग्रोन्मुखी दस्तावेज है और बैंक की वित्तीय परफॉर्मन्स इस आकलन से भिन्न भी हो सकती है.

स्टेट बैंक ने खुलासा किया है कि विमुद्रीकरण के बाद से चालु और बचत खातों में जमा राशि में वृद्धि हुई है. रिज़र्व बैंक के अनुसार चालू और बचत खातों में सकल जमा राशि 4.10 प्रतिशत से बढ़ कर 33.30 प्रतिशत हो गयी है (फरवरी 2017) परिणाम स्वरुप बैंकों ने सावधि जमा योजनाओं के ब्याज दरों में कटौती कर दी है फलस्वरूप स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को अन्य वित्तीय संस्थाओं से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा.

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स्टेट बैंक ने दस्तावेज में आगे खुलासा किया है कि इस प्रतिस्पर्धा से बैंक के नेट मार्जिन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिस कारण भविष्य में बैंक की प्रॉफिटेबिलिटी घट सकती है. इस कारण भविष्य में फाइनेंसियल फ्रॉड भी बढ़ने की आशंका जताई है.

अप्रैल में 5 सरकारी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में विलय के बाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया संसार के टॉप 50 बैंकों में शामिल हो गया है. स्टेट बैंक इंडिया की बैलेंस शीट का आकार 33 लाख करोड़ है. इसकी कुल 24017 शाखाएं और 53263 एटीएम हैं जो 42 करोड़ ग्राहकों को सेवा प्रदान करते हैं.

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