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राम नाम मनि-दीप धरु, जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चात में कौनसा अलंकार है?

राम नाम मनि-दीप धरु , जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चात में कौनसा अलंकार है?

राम नाम मनि-दीप धरु , जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।

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राम नाम मनि-दीप धरु , जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास में रूपक अलंकार है। प्रस्तुत पंक्ति में तुलसीदास कहतें हैं कि यदि भक्त को बाहर और भीतर उजाला चाहिए तो उसे मुख रूपी द्वार के जीभ रूपी देहरी पर राम नाम का मणि रूपी दीपक रखना होगा।इस पंक्ति में मुख पर द्वार का ,जीभ पर देहरी का तथा रामनाम के उच्चारण पर दीपक का आरोप है इसलिए यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग है।

दूसरे शब्दों में कह सकतें है कि मुख और द्वार में,जीभ और देहरी में तथा राम नाम तथा दीपक में समरूपता होने के कारण कोई अंतर नहीं है इसलिये यहाँ उपमेय पर उपमान का आरोप किया गया है।

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इस उदाहरण में जहां जहां पर उपमेय और उपमान आए हैं, वो हमने विद्यार्थियों की सहायता के लिए नीचे लिख दिये हैं:-

उपमेय-उपमान

मुख – द्वार

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जीभ-देहरी

राम नाम का उच्चारण – दीपक

जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है।

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अथवा जहां उपमेय उपमान का रूप धारण कर ले वहां रूपक अलंकार होता है। रूपक अलंकार अर्थालंकार का एक प्रकार है।

राम नाम मनि-दीप धरु , जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास में रूपक अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।

राम नाम मनि-दीप धरु , जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास पंक्तियों में रूपक अलंकार के अलावा और कौन सा अलंकार उपस्थित है?

न,द और म की आवृति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

Important Alankar in Hindi अलंकार के उदाहरण एवं हिन्दी अलंकार पर प्रश्न जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।

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