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कब – कब होता है राहुकाल?

Rahukal kab hota hai?

भारतीय ज्योतिष के लिए हर शुभ काम को करने से पहले मुहूर्त जरूर देखना चाहिए। ऐसा मानते हैं कि शुभ मुहूर्त में किया गया काम सफल व शुभ होता है, लेकिन हर दिन में एक समय ऐसा भी आता है जब कोई शुभ काम नहीं किया जाता। वह समय होता है राहुकाल। राहुकाल के बारे में ऐसा कहते हैं कि इस दौरान यदि कोई शुभ काम, लेन-देन, यात्रा या कोई नया काम शुरू किया जाए तो वह अशुभ फल देता है। यह बात पुरातन काल से ज्योतिषाचार्य हमें बता रहे हैं, लेकिन राहुकाल में ऐसा क्या होता है कि इसमें किए गए कार्य अशुभ या असफल होते हैं।

Rahukal kab hota haiभारतीय ज्योतिष के अनुसार दिन में एक समय ऐसा भी आता है जब कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। वह समय होता है राहुकाल।जिसे राहुकालम भी कहा जाता है दिन में एक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। यह स्थान और तिथि के साथ अलग अलग होता है, अर्थात अलग अलग स्थान के लिए राहुकाल बदलता रहता है।

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प्रत्येक दिन एक निश्चित समय राहुकाल होता है। यह डेढ़ घंटे का होता है। चारों के हिसाब से भारतीय स्टेण्डर्ड टाइम के अनुसार इसका समय निम्नानुसार है –

रविवार को शाम 4.30 से 06 बजे तक, सोमवार को सुबह 07.30 से 9:00 बजे तक, मंगलवार को दोपहर 03.00 से 04.30 बजे तक, बुधवार को दोपहर 12. 00 बजे से 01.30 बजे तक, गुरूवार को दोपहर 01.30 से 03.00 बजे तक, शुक्रवार को सुबह 1 0.30 बजे से 12 बजे तक एवं शनिवार को सुबह 09 बजे से 10.30 बजे तक के समय को राहुकाल माना गया है।

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राहुकाल स्थान और तिथि के अनुसार अलग-अलग होता है अर्थात प्रत्येक वार को अलग समय में शुरू होता है। यह काल कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी शाम के समय आता है, लेकिन सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है। राहुकाल की अवधि दिन (सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय) के 8वें भाग के बराबर होती है यानी राहुकाल का समय डेढ़ घंटा होता है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस समय अवधि में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए।

इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: ०६:०० ( भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल ०६:०० बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले १२ घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।

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