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क्यों राहुकाल में कोई भी शुभ काम नहीं करते?

Rahukal mein shubh kam kyon nahin karna chahiye?

ऐसा माना जाता है कि शुभ समय में किया गया कार्य सफल व शुभ होता है। लेकिन भारतीय ज्योतिष के अनुसार दिन में एक समय ऐसा भी आता है जब कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। वह समय होता है – राहुकाल।

Rahukal mein shubh kam kyon nahin karna chahiyeराहुकाल के बारे में ऐसा कहते हैं कि इस दौरान यदि कोई शुभ कार्य, लेन – देन, यात्रा या कोई नया काम शुरू किया जाए तो वह अशुभ फल देता है। यह बात पुरातन काल से ज्योतिषाचार्य हमें बता रहे हैं। लेकिन राहुकाल में ऐसा क्या होता है कि इसमें किए गए कार्य अशुभ या असफल होते हैं।

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इसके पीछे का तर्क यह है कि ज्योतिष के अनुसार राहु को पाप ग्रह माना गया है। दिन में एक समय ऐसा आता है, जब राहु का प्रभाव काफी बढ़ जाता है और उस दौरान यदि कोई भी शुभ कार्य किया जाए तो उस पर राहु का प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण या तो वह कार्य अशुभ हो जाता है या उसमें असफलता हाथ लगती है। यह समय राहुकाल कहलाता है।

राहुकाल में किये गये काम या तो पूर्ण ही नहीं होते या निष्फल हो जाते हैं। इसीलिए राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि इस समय में किये गये कार्यों में अनिष्ट होने की संभावना रहती है। लेकिन मुख्यतः ऐसा माना जाता है कि राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए और यदि कार्य का प्रारंभ राहुकाल के शुरु होने से पहले ही हो चुका है तो इसे करते रहना चाहिए क्योंकि राहुकाल को केवल किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ करने के लिए अशुभ माना गया है ना कि कार्य को पूर्ण करने के लिए। राहुकाल में घर से बाहर निकलना भी अशुभ माना गया है लेकिन यदि आप किसी कार्य विशेष के लिए राहुकाल प्रारंभ होने से पूर्व ही निकल चुके हैं तो आपको राहुकाल के समय अपनी यात्रा स्थगित करने की आवश्यकता नहीं है। राहुकाल का विशेष प्रचलन दक्षिण-भारत में है और इसे वहां राहुकालम् के नाम से जाना जाता है।

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ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में से आठवे भाग का स्वामी राहु होता है। इसे ही राहुकाल कहते हैं। यह प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है, जो राहुकाल कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस समय शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य या खरीदी-बिक्री को शुभ नही माना जाता।

गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।

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रविवार को शाम 04:30 से 06 बजे तक राहुकाल होता है।
सोमवार को दिन का दूसरा भाग यानि सुबह 07:30 से 09 बजे तक राहुकाल होता है।
मंगलवार को दोपहर 03:00 से 04:30 बजे तक राहुकाल होता है।
बुधवार को दोपहर 12:00 से 01:30 बजे तक राहुकाल माना गया है।
गुरुवार को दोपहर 01:30 से 03:00 बजे तक का समय यानि दिन का छठा भाग राहुकाल होता है।
शुक्रवार को दिन का चौथा भाग राहुकाल होता है। यानि सुबह 10:30 बजे से 12 बजे तक का समय राहुकाल है।
शनिवार को सुबह 09 बजे से 10:30 बजे तक के समय को राहुकाल माना गया है।

 

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