रहीम के दोहे Rahim ke dohe in hindi
रहिमन वे नर मर चुके, जो कहुं मांगन जाहिं।
उन ते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं।।
Rahiman ve nar mar chuke, jo kaun maanagn jaahin
Un te pahle ve mue, jin much niksat naahin
समाज में उन पुरूषों का आदर होता है जो पुरूषार्थ से अर्जित उपलब्धियों पर निर्भर हैं। ऐसे लोग जो मांग मांग कर पेट भरते हैं, निस्संदेह हेय हैं। किंतु उनसे भी अधिक हेय लोगों का अस्तित्व है। कौन हैं वे लोग?
रहीम कहते हैं कि ऐसे मनुष्यों की अंतरात्मा मर चुकी होती है, जो कहीं मांगने जाते हैं। किंतु सच्चाई तो यह है कि इनकी अंतरात्मा से पहले उनकी अंतरात्मा मर जाती है, जिनके मुख से याचकों के लिए ‘नहीं’ निकलती है।
भटियारी अरू लच्छमी, दोऊ एकै घात।
आवत बहु आदर करै, जात न पूछत बात।।
Bhatiyari aru lachchami, dou ekai ghat
Aavat bahu aadar karai, jaat na puchhat bat
रहीम की दृष्टि में गणिका व संपन्नता की मूल प्रवृत्ति में कोई अंतर नहीं है। दोनों का आचरण समान होता है।
वह कहते हैं कि भट्टी वाली (भटियारिन) तथा वैभव (लक्ष्मी) का कोई भरोसा नहीं होता। दोनों एक ही प्रकार से मानव पर घात करते हैं। जब आते हैं तब तो बहुत आदर-सत्कार करते हैं, समाज में मान-सम्मान बढ़ाते हैं। किंतु वैभव के जाते ही सारा ठाठ-बाठ धरा का धरा रह जाता है, तब भटियारिन भी मुंह मोड़ लेती है। कहां तो आते समय दोनों लाड़-दुलार करते हैं और जाते समय बात तक नहीं करते।
ओछो को सतसंग, रहिमन तजहु अंगार ज्यों।
तातो जारै अंग, सीरो पै कारो करै।।
Ochho ko satsang, Rahiman tajahu angaar jyon
Taato jaarai ang, seero pai kaaro karai
मन, वचन व कर्म से जो हेय होते हैं, उनके सान्निध्य से रहीम ने दूर रहने का परामर्श दिया है। उनका कथन है कि ओछे लोगों की संगत का त्याग वैसे ही करना चाहिए जैसे अंगार का। जब वह जलता है तो उसके दाह से अंग-अंग जलता है और जब वह शीतल पड़ जाता है तो काला होकर कालिख लगा देता है।
सदा नगारा कूच का, बाजत आठों जाम।
रहिमन या जग आइ कै, को करि रहा मुकाम।।
Sadaa nagaaraa kooch ka, baajat aathon jam
Rahiman ya jag aai kai, ko kari raha mukaam
यह सारी सृष्टि नाशवान है। प्रत्येक चराचर को एक दिन काल कवलित होना है। किंतु मानव जन्म लेकर इस शाष्वत सत्य को भुला देता है और भोग विलास में जीवन व्यर्थ गंवा देता है। वह भौतिक पदार्थों का भंडार एकत्रित करता है और यह भी नहीं सोचता कि यहां स्थायी तौर पर कोई नहीं रहता, एक दिन सबकुछ तज कर उसे परलोक सिधारता है।
अतः इस पद में रहीम स्मरण करते हैं कि दुनियावालों! सुनो, कूच का नक्कारा आठों याम (24 घंटे) बज रहा है। हर पल कहीं न कहीं कोई अपने प्राण त्याग रहा है, फिर क्यों भौतिकता के पीछे भाग रहे हो। इस जग में आकर कोई भी स्थायी रूप से वास नहीं करता। एक दिन तुम्हारा भी अंत आएगा, इसलिए कुछ परलोक संवारने का भी यत्न करो।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।